रायपुर: अस्पताल, जहां जिंदगी बचाने के लिए जद्दोजहद की जाती है वो अब नवजातों के लिए मौत के घर में तब्दील होते जा रहे हैं। ताजा मामला है अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज का है, जहां 7 नवजात बच्चे तीन दिन के अंदर में चल बसे। घटना के बाद तीन-तीन मंत्रियों का दौरा हुआ। घंटों मैराथन मीटिंग चली, लेकिन न तो कोई कार्रवाई हुई, न कोई जिम्मेदारी तय। इसके बाद बीजेपी को भी बैठे-बिठाए राज्य सरकार को घेरने का मौका मिल गया। अब सवाल ये कि 7 नवजातों की मौत का दोषी कौन है? और कब तक यूं ही अकाल मृत्यु का शिकार बनते रहेंगे नौनिहाल?
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 3 दिन के भीतर 7 बच्चों की मौत ने सरगुजा से रायपुर तक हड़कंप मचा दिया। मामला सामने आने के बाद आनन फानन में जिले के प्रभारी मंत्री शिव डहरिया हेलीकॉप्टर की व्यवस्था न होने पर भी बाई रोड सरगुजा पहुंचे, उनके साथ मंत्री अमरजीत भगत भी थे। तो वहीं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव दिल्ली से सीधे सरगुजा पहुंचे और करीब 5 घंटे तक मेडिकल कॉलेज के अफसरों से चर्चा की। तीनों मंत्रियों ने पूरी घटना की समीक्षा के बाद राज्य स्तर की टीम को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी है। फिलहाल स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने मामले की जांच के साथ ही घटना की पुनरावृति न होने के निर्देश दिए। जबकि प्रभारी मंत्री शिव डहरिया ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का दावा किया है।
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बहरहाल तीन-तीन मंत्रियों के दौरे और निरीक्षण करने के बाद भी मामले में कोई नतीजा नहीं निकला, जिससे कई सवाल उठ रहे हैं। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज को सरगुजा संभाग में सबसे बड़े सरकारी अस्पताल होने का रुतबा हासिल है, जहां इलाज के लिए सारे ताम-झाम और सुविधाएं मौजूद हैं। बावजूद इसके 7 नवजातों की मौत कैसे हो गई? आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है? परिजनों के इलाज में लापरवाही के आरोपों के बाद भी सिर्फ जांच टीम गठित क्यों की गई? वहीं जिले के सबसे बड़े अस्पताल के SNCU में बीते 19 महीनों में 1064 नवजात बच्चों की मौत हो चुकी है। इसे लेकर कभी कार्रवाई क्यों नहीं हुई? यही वजह है कि बीजेपी अब राज्य सरकार पर हमलावर है।
बीजेपी नेताओं के आरोपों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जो गलत है उसे गलत कहने में कोई बुराई नहीं है। मौत पर किसी का बस नहीं, लेकिन अगर इलाज में कोताही या किसी की लापरवाही से होती है तो इससे बड़ा गुनाह कोई नहीं। बहरहाल 3 दिन में 7 नवजातों की मौत असल में लापरवाही से हुई है या फिर जो अस्पताल प्रबंधन कह रहा है वो सच है। ये बात तो जांच के बाद सामने आएगी, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले का मामला होने के कारण कई सवाल उठ रहे हैं।