Bilaspur Lok Sabha Elections 2024: बिलासपुर। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस BJP की रणनीति पर ही बीजेपी को घेरने की तैयारी में है। दावेदारों को लेकर कांग्रेस ने भी बीजेपी की तरह जातिगत समीकरणों का गुणा भाग लगाना शुरू कर दिया है। प्रदेश के टॉप सीट बिलासपुर लोकसभा में कुछ ऐसा ही समीकरण बनता दिखाई दे रहा है। यहां दावेदार को लेकर बीजेपी के रणनीति की तरह ही कांग्रेस भी ओबीसी कार्ड खेलने की तैयारी में है। कांग्रेस की रणनीति बीजेपी की तरह ही ओबीसी वर्ग को साधकर बिलासपुर लोकसभा सीट जीतने की है। देखिए ये रिपोर्ट..
दरअसल, बिलासपुर लोकसभा प्रदेश के टॉप लोकसभा क्षेत्रों में से एक है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय दलों के लिए ये सीट महत्वपूर्ण मानी जाती है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय जहां इस सीट को कांग्रेस के प्रभाव वाला माना जाता था। छत्तीसगढ़ गठन के बाद से यहां भाजपा का वर्चस्व है। जिस तरह भाजपा लोकसभा चुनाव में खास तौर पर दावेदार को लेकर अपनी रणनीति बनाती है, इससे भाजपा को बड़ा फायदा होता है।
सीट पर अपना वर्चस्व कायम रखने में बीजेपी कामयाब रहती है। सामान्य सीट होने के बाद 2014 और 2019 के चुनाव इसका बड़ा उदाहरण हैं। सामान्य सीट होने के बाद भी भाजपा ने यहां से ओबीसी चेहरे को मौका दिया है। चाहे वो लखनलाल साहू हों या फिर अरुण साव, बीजेपी यहां जातिगत समीकरण के लिहाज से अपने प्रत्याशी देते और जीताते आई है। अब जब फिर से 2024 का चुनावी बिसात बिछ चुका है, भाजपा ने ओबीसी वर्ग के तोखन साहू को प्रत्याशी बनाकर अपना सियासी दांव चल दिया है। हालांकि, कांग्रेस भी भाजपा को इसबार उसी की रणनीति में घेरने की तैयारी में है।
दरअसल, दावेदारों को लेकर कांग्रेस ने भी बीजेपी की तरह जातिगत समीकरणों का गुणा भाग लगाना शुरू कर दिया है। बिलासपुर लोकसभा में कुछ ऐसा ही समीकरण बनता दिखाई दे रहा है। यहां दावेदार को लेकर बीजेपी के रणनीति की तरह ही कांग्रेस भी ओबीसी कार्ड खेलने की तैयारी में है।
कांग्रेस नेताओं की माने तो अब तक हुए चुनाव में बीजेपी के ओबीसी कार्ड के जवाब में कांग्रेस सामान्य वर्ग से अपने प्रत्याशी उतारते आई है। लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली है। ऐसे में कांग्रेस भी इस बार ओबीसी का दांव बिलासपुर लोकसभा में खेल सकती है। इसके लिए ओबीसी वर्ग से साहू, कुर्मी और यादव समाज से लोकसभा फेस का पैनल तैयार कर लिया गया है।
हालंकि भाजपा, कांग्रेस के ऐसे दांव और रणनीति से ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखती है। भाजपा नेताओं का कहना है, कांग्रेस में जो स्थिति है, बड़े नेता भी चुनाव लड़ने से भाग रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी ही तय कर ले वही उसके के लिए बड़ी बात होगी।
बहरहाल, देखना होगा कॉस्ट पॉलिटिक्स की एक ही रणनीति पर एक दूसरे को घेरने में दोनों सियासी दल कांग्रेस – भाजपा कितना कामयाब होते हैं और इसका सियासी फायदा किसे मिलता है।