Bilaspur High Court: पति को मिला तलाक, पत्नी को 15 लाख गुजारा भत्ता! हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, 14 साल बाद खत्म हुआ विवादित विवाह

Bilaspur High Court: पति को मिला तलाक, पत्नी को 15 लाख गुजारा भत्ता! हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, 14 साल बाद खत्म हुआ विवादित विवाह

MP Promotion Reservation Dispute. Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • बिलासपुर हाईकोर्ट ने पति की अपील मानी,
  • पति की अपील पर हाईकोर्ट ने किया तलाक,
  • पत्नी को मिला 15 लाख रुपये का स्थायी भत्ता,

बिलासपुर: Bilaspur News:  शादी-विवाद से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट ने पति की अपील स्वीकार करते हुए शादी को खत्म कर दिया और पत्नी को 15 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा- बिना पर्याप्त कारण वैवाहिक जीवन से दूरी बनाना पति के प्रति क्रूरता की श्रेणी में आता है। मामला कोरबा जिले के कटघोरा क्षेत्र का है जहां रहने वाले दंपती 2011 से अलग रह रहे थे। कोर्ट ने पति की अपील स्वीकार करते हुए फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया और पति को तलाक की डिक्री प्रदान की। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिसीजन बेंच में हुई। Bilaspur High Court

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Bilaspur High Court:  कोर्ट ने कहा कि पत्नी वर्षों से अलग रह रही है और उसने पति व ससुराल पक्ष पर दहेज प्रताड़ना समेत कई मुकदमे दर्ज कराए थे। कोर्ट ने पत्नी और बेटी के भविष्य को देखते हुए पति को आदेश दिया कि वह 15 लाख रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता अदा करे। दरअसल, एसईसीएल में माइनिंग सरदार के पद पर कार्यरत युवक की शादी 11 फरवरी 2010 को हुई थी। कुछ समय बाद उनके घर बेटी ने जन्म लिया। इसके बाद दंपती के बीच विवाद बढ़ने लगे। पति का आरोप था कि पत्नी ने वैवाहिक दायित्व निभाने से इनकार कर दिया और परिवार से अलग रहने का दबाव बनाया।

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Bilaspur High Court:  वहीं पत्नी ने आरोप लगाया कि लड़की होने पर ससुरालवालों का व्यवहार बदल गया और उन्होंने पांच लाख रुपये की मांग करते हुए उत्पीड़न शुरू कर दिया। पत्नी ने पति और ससुरालवालों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना (498ए), घरेलू हिंसा और भरण-पोषण के मामले दर्ज कराए। उसने यह भी कहा कि पति और परिवार वालों ने मारपीट की और जान से मारने का प्रयास किया। वहीं पति ने पत्नी पर झूठे मामले दर्ज करने और कोर्ट परिसर में हमला करने तक के आरोप लगाए। 2019 में सेशन कोर्ट ने पति और उनके परिवार को सभी आपराधिक आरोपों से बरी कर दिया। इसके बावजूद पत्नी अलग ही रही। पति ने 2015 में तलाक की अर्जी लगाई थी, लेकिन 2017 में कटघोरा फैमिली कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि पत्नी की ओर से की गई कथित क्रूरता को पति साबित नहीं कर सका।

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Bilaspur High Court:  इसके बाद पति ने हाई कोर्ट में अपील दायर की। हाई कोर्ट में जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच में दोनों पक्षों ने दलील पेश की। कोर्ट ने कहा कि, दंपति 2011 से अलग रह रहे हैं। पत्नी ने कई आपराधिक शिकायतें कीं, जिनसे पति को मानसिक यातना झेलनी पड़ी। अलग रहने का कोई वाजिब कारण पत्नी साबित नहीं कर सकी। अब दोनों के रिश्ते में पुनर्मिलन की संभावना पूरी तरह खत्म हो चुकी है। कोर्ट ने आदेश दिया कि वह छह माह के भीतर पत्नी को 15 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में अदा करे। इसके साथ ही 14 साल से लंबित यह विवादित रिश्ता कानूनी रूप से समाप्त हो गया।

"शादी विवाद मामले में हाईकोर्ट का फैसला" क्या है?

हाईकोर्ट ने पति की अपील स्वीकार कर शादी को खत्म किया और पत्नी को 15 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।

"शादी विवाद में स्थायी गुजारा भत्ता" कैसे तय होता है?

कोर्ट पति से पत्नी और बेटी के भविष्य को देखते हुए स्थायी गुजारा भत्ता मांग सकता है, जो इस मामले में 15 लाख रुपये तय हुआ।

"शादी विवाद में पति-पत्नी अलगाव के कारण क्या होते हैं"?

इस मामले में पत्नी ने दहेज प्रताड़ना व घरेलू हिंसा का आरोप लगाया जबकि पति ने वैवाहिक दायित्व निभाने से इनकार का आरोप लगाया।

"शादी विवाद में कोर्ट की भूमिका क्या होती है"?

कोर्ट दंपति के बीच विवादों को सुलझाने, तलाक देने या गुजारा भत्ता आदेश देने जैसे फैसले करता है।

"शादी विवाद में तलाक की प्रक्रिया क्या होती है"?

फैमिली कोर्ट और हाईकोर्ट में तलाक की अर्जी दी जाती है, कोर्ट मामले की सुनवाई के बाद निर्णय करता है।