Bilaspur High Court Latest News: ‘प्रेम-प्रसंग और आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाना रेप नहीं’… बिलासपुर HC ने दिए आरोपी को रिहा करने के आदेश..

युवक पर आरोप था कि वह 8 जुलाई 2018 को एक लड़की को बहला-फुसलाकर अपने साथ भगा ले गया और कई दिनों तक उसके साथ रहा।

Bilaspur High Court Rape and POCSO Act || Image- IBC24 News File

HIGHLIGHTS
  • हाईकोर्ट ने सहमति से संबंधों को दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं माना।
  • अभियोजन पीड़िता की उम्र 18 से कम साबित नहीं कर सका।
  • युवक को छह साल बाद जेल से रिहाई मिली।

Bilaspur High Court on Rape and POCSO Act: बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि किसी युवक और युवती के बीच प्रेम प्रसंग हो और आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बने हों, तो उसे दुष्कर्म या पॉक्सो एक्ट के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने इस आधार पर एक युवक की सजा को रद्द करते हुए उसकी तत्काल रिहाई के आदेश दिए हैं।

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क्या था मामला?

एक युवक को नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई थी और वह पिछले छह वर्षों से जेल में बंद था। युवक ने इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम थी। इसके साथ ही पीड़िता ने भी कोर्ट में बयान दिया कि वह आरोपी से प्रेम करती थी और दोनों के बीच शारीरिक संबंध आपसी सहमति से बने थे।

निचली अदालत का फैसला रद्द

Bilaspur High Court on Rape and POCSO Act: पीड़िता के बयान और अभियोजन की कमजोरी को देखते हुए हाईकोर्ट की एकल पीठ ने विशेष न्यायाधीश, रायपुर द्वारा 27 सितंबर 2019 को दिए गए फैसले को रद्द कर दिया। निचली अदालत ने आरोपी तरुण सेन को आईपीसी की धारा 376(2)(एन) और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 10-10 साल की सजा सुनाई थी।

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युवक पर आरोप था कि वह 8 जुलाई 2018 को एक लड़की को बहला-फुसलाकर अपने साथ भगा ले गया और कई दिनों तक उसके साथ रहा। लड़की के पिता ने 12 जुलाई को शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद 18 जुलाई को लड़की को दुर्ग से बरामद किया गया था। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद आरोपी युवक को लगभग छह साल बाद जेल से रिहाई मिल गई है।

1. सवाल: क्या प्रेम संबंधों में बनी आपसी सहमति से शारीरिक संबंध दुष्कर्म की श्रेणी में आते हैं?

जवाब: यदि लड़की बालिग है और शारीरिक संबंध आपसी सहमति से बने हैं, तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता।

2. सवाल: क्या हाईकोर्ट ने पीड़िता के बयान को महत्वपूर्ण माना?

जवाब: हाँ, पीड़िता के यह कहने पर कि वह आरोपी से प्रेम करती थी और संबंध सहमति से बने थे, कोर्ट ने इसे मुख्य आधार बनाया।

3. सवाल: आरोपी की रिहाई का कारण क्या था?

जवाब: अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि पीड़िता नाबालिग थी और पीड़िता ने भी सहमति की बात स्वीकारी, जिसके चलते हाईकोर्ट ने सजा रद्द की।