Fake Doctor Narendra Yadav: ‘डॉक्टर डेथ’ को बिलासपुर लेकर पहुंची पुलिस.. सरकंडा थाने में मामला दर्ज, जानें इस शातिर फर्जी कॉर्डियोलॉजिस्टके बारें में
पुलिस पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया कि उसने भीड़ से अलग और विदेशी दिखने के लिए अपना नाम एन. जॉन. केम रखा। वह इस नाम के जरिए अपनी विदेशी डॉक्टर की इमेज बनाकर लोगों को धोखा देता रहा।
Fake Doctor Narendra Yadav Case || Image- IBC24 News File
- फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ एन. जॉन. केम बिलासपुर में पुलिस कस्टडी में लाया गया।
- केवल MBBS डिग्री वैध, MD और कार्डियोलॉजी डिग्रियाँ फर्जी निकलीं।
- अपोलो अस्पताल में फर्जी सुपर स्पेशलिस्ट बनकर वर्षों तक किया मरीजों से धोखा।
Fake Doctor Narendra Yadav Case: बिलासपुर: मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाला कथित सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर नरेंद्र यादव, जो अपने फर्जी नाम एन. जॉन. केम के नाम से जाना जाता था, उसे पुलिस कस्टडी में लेकर बिलासपुर पहुँच गई है। आरोपी को सरकंडा थाना लाया गया है, जहां उससे गहराई से पूछताछ की जा रही है। आरोपी को कोर्ट में पेश किए जाने की तैयारी है।
इस गिरफ्तारी की पुष्टि एसएसपी रजनेश सिंह ने की है। मामले में सरकंडा पुलिस ने FIR दर्ज की है। आरोपी डॉक्टर अपोलो अस्पताल, बिलासपुर में कार्डियोलॉजिस्ट के रूप में सेवाएं दे चुका था।
क्या है पूरा मामला?
Fake Doctor Narendra Yadav Case: दरअसल फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब स्व. शुक्ल के परिजनों ने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद जांच में पता चला कि डॉक्टर नरेंद्र यादव की केवल MBBS डिग्री ही वैध है, जबकि उसके पास मौजूद MD और कार्डियोलॉजी की डिग्रियां फर्जी हैं। इससे पहले डॉक्टर नरेंद्र यादव का नाम पहले भी मध्य प्रदेश के दमोह में चर्चा में आया था, जब कथित इलाज के दौरान सात लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी ने फर्जी डिग्रियों के दम पर वर्षों तक खुद को सुपर स्पेशलिस्ट कार्डियोलॉजिस्ट बताकर विभिन्न अस्पतालों में नौकरी की।
‘एन. जॉन. केम’ क्यों बना?
पुलिस पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया कि उसने भीड़ से अलग और विदेशी दिखने के लिए अपना नाम एन. जॉन. केम रखा। वह इस नाम के जरिए अपनी विदेशी डॉक्टर की इमेज बनाकर लोगों को धोखा देता रहा। पुलिस अब आरोपी को अपोलो अस्पताल भी लेकर जाएगी, जहां वह पहले काम कर चुका है। वहां के रिकॉर्ड, सहकर्मियों और मरीजों से पूछताछ की जा सकती है।

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