रायपुर: छत्तीसगढ़ में अभी चुनाव को काफी वक्त है, लेकिन बीजेपी-कांग्रेस अभी से एक दूसरे को घेरने में जुट गई है। ताजा मामला एक दिन पहले का है, जब सीएम भूपेश बघेल ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि 15 साल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह के चेहरे पर बीजेपी को विश्वास नहीं है। इसलिए डी पुरंदेश्वरी ने विकास के चेहरे पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है, सीएम ने ये भी कहा कि बीजेपी में नेताओँ का अकाल है। इसलिए पूर्व कांग्रेसियों को सीएम और मंत्री बना रहे हैं, जिस पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल ने पलटवार किया कि कांग्रेस पहले ये बताएं कि किसके चेहरे पर दो लोकसभा चुनाव लड़ा? अब सवाल ये है कि छत्तीसगढ़ में नेतृत्व को लेकर शुरू हुई बयानबाजी के मायने क्या है?
छत्तीसगढ़ में इन दिनों मानसून सत्र को लेकर सियासत गरमाई हुई है। सदन में जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता आमने-सामने हैं। लेकिन बुधवार को अनुपूरक बजट पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस लड़ाई को नई दिशा दे दी। दरअसल सीएम ने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी में नेताओं का आकाल हो गया है, इसलिए कांग्रेस से बीजेपी में जाने वाले नेताओं को तवज्जों मिल रहा है। भूपेश बघेल यहीं नहीं रूके उन्होंने कहा कि असम और कर्नाटक के मुख्यमंत्री कांग्रेसी रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया और छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रभारी डी पुरंदेश्वरी भी कांग्रेसी और यूपीए सरकार में मंत्री रहीं।
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छत्तीसगढ़ में 9-9 सांसद होने के बावजूद भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलना दुर्भाग्य है। हमें उम्मीद थी कि जब असम के पूर्व सीएम सर्वानंद सोनेवाल को मंत्री बनाया गया। हमें लगा कि डॉक्टर साहब को भी कुछ मिलेगा, नौ सांसदों को कुछ मिलेगा। लेकिन वहां तो पूर्व कांग्रेसियों ने कब्जा कर लिया है। आप लोगों को दिल्ली ने किसी काबिल नहीं समझा।
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मुख्यमंत्री ने पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए तो, बीजेपी की ओर पलटवार करने नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक सामने आए। उन्होंने ये कहा कि पिछले दो लोकसभा चुनाव किसके चेहरे पर लड़े पहले ये कांग्रेस बताएं? कौशिक ने कहा कि जिस कांग्रेस के पास केंद्र में नेता प्रतिपक्ष बनाने लायक बहुमत नहीं, उसका सवाल उठाना कहीं से जायज नहीं लगता।
चुनाव अभी दूर हैं लेकिन फिर भी भाजपा किस चेहरे की अगुआई में चुनाव मैदान में उतरेगी इसे लेकर अभी से तीखे प्रहार दिख रहे हैं। वैसे भी अकसर भाजपा के मजबूत राष्ट्रीय नेतृत्व से अकेले छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार लोहा लेती दिखती है। बड़ा सवाल ये कि क्या वाकई भाजपा में विकास के चेहरे को लेकर कोई संकट है? उससे भी बड़ा सवाल ये कि क्या यहां भी पार्टी किसी किराए के चेहरे को ऐन वक्त पर सामने ला सकती है?
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