बेमेतरा। मौसम में हो रहे बदलाव के चलते सर्दी-बुखार का होना सामान्य बात है। लगातार बारिश और उसके बाद होने वाली तेज धूप के चलते वातावरण वायरस के फैलाव के अनुकूल हो जाता है। ऐसे में हुए बुखार को वायरल बुखार या मौसमी बुखार कहा जाता है। भले ही इस तरह के बुखार चार से छह दिनों में स्वयं ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन इससे होने वाली कमजोरी और अन्य समस्याओं का असर कई दिनों तक बना रहता है। मौसम में बदलाव के आते ही इस तरह के बुखार का होना बहुत सामान्य होता है, किन्तु इसे नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। 〈 >>*IBC24 News Channel के WHATSAPP ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां CLICK करें*<< 〉
संचालक, महामारी नियंत्रण डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि इस समय सर्दी-खांसी, जुकाम को बढ़ाने वाले इस्पेटरी वायरस, एडिनो, सिनसाइटल आदि वायरस ज्यादा सक्रिय हैं। यह वायरस तभी सक्रिय होते हैं, जब आर्द्रता अधिक होती है। पानी गिरने के बाद निकली धूप वायरस को अधिक अनुकूल मौसम प्रदान करती है। ऐसी स्थिति में वातावरण में मौजूद यह वायरस लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। डॉ. मिश्रा ने बच्चों को इनसे बचाने के लिए उन्हें गंदगी से दूर रखने, बार-बार भीगने से बचाने की सलाह दी है। उन्होंने बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पोषणयुक्त भोजन खिलाने कहा है।
मौसम में बदलाव होने के साथ ही हमारे वातावरण में कई प्रकार के वायरस तेजी से बढ़ने शुरू हो जाते हैं। जिन लोगों की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उनका शरीर इन वायरस से मुकाबला नहीं कर पाता है। लिहाजा उन्हें बुखार और सर्दी-जुकाम जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। बुखार होना एक तरह की सुरक्षात्मक क्रिया है। जब आप किसी वायरस के संपर्क में आते हैं तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर का तापमान बढ़ा देती है ताकि वायरस का प्रभाव कम हो जाए।
वायरल बुखार में सामान्यतः सिरदर्द, बदन दर्द, बुखार का लंबे समय तक बने रहना और दवाओं के प्रयोग से भी बुखार कम न होना प्रमुख है। बुखार के कुछ और लक्षण हैं जैसे जोड़ों में दर्द होना, शरीर में दाने निकलना, चेहरा फूल जाना और उल्टियां होना। इस तरह का कोई भी लक्षण दिखाई दे तो फौरन अपने डॉक्टर के पास जाएं। अगर बुखार हो गया है तो पूरी तरह आराम करें। जब तक ठीक नहीं हो जाते, गर्म और तरल भोजन जैसे सूप और खिचड़ी खाएं।
यह भी पढ़ें: Nag panchami 2022: इन 2 शुभ मुहूर्त में होगी नाग देवता की पूजा, नाग पंचमी पर बन रहा ये खास संयोग
बीमार होने पर बिना डॉक्टर के परामर्श के स्वयं एंटीबायोटिक दवा और दर्द दूर करने वाली दवाएं न लें। एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरियां को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं, वायरस दूर करने के लिए नहीं। ऐसी दवाएं एसिडिटी और पेट की बीमारियों को आमंत्रित करती हैं। बीमारी से बेहतर महसूस करने के बावजूद डॉक्टर द्वारा दी गई दवा का कोर्स पूरा करना चाहिए। दवा के कोर्स के बीच में ही एंटीबायोटिक्स लेना बंद कर देने पर बैक्टीरिया प्रतिरोधी क्षमता विकसित नहीं हो पाती। इससे आपके और आसपास के लोगों के एक बार फिर बीमारी से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
उचित खान-पान व नियंत्रित जीवन-शैली से वायरल फीवर कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन इससे होने वाली समस्याओं को ठीक करने के लिए डॉक्टर कुछ दर्द निवारक और एंटीबायोटिक दवाएं देते हैं। वायरल फीवर में शरीर को ज्यादा से ज्यादा आराम दें। अगर गले में खराश या दर्द है तो हल्के गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करना काफी फायदेमंद होता है। गले के दर्द को ठीक करने के लिए हल्के गर्म पानी में शहद और नमक डालकर भी गरारे कर सकते हैं।
बैक्टीरिया से रोकथाम के लिए आवश्यक है कि कीटाणुनाशक लिक्विड हैंडवॉश या साबुन से हाथ बार-बार धोएं। भीड़-भाड़ से दूर रहें और बिना हाथ धोए अपना चेहरा, मुंह और नाक छूने से बचें। बरसात के मौसम में बाहर का कुछ भी तला-भूना खाने से बचें। वायरल बुखार होने पर जब भी खांसी, जम्हाई या छींक आए तो मुंह रुमाल से ढंक लें। शुरूआती लक्षण दिखाई देने पर तुरंत ही अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र से संपर्क कर डॉक्टर की सलाह लेंवे।