लिव इन रिलेशनशिप में बच्चे का जन्म, पिता मुस्लिम और मां हिंदू, अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Child born in live in relationship: कोर्ट ने कहा कि विवाहित पुरुष के लिए लिव इन रिलेशनशिप से बाहर निकलना बहुत आसान है। मामले में अदालत इस संकटपूर्ण लिव इन रिलेशनशिप के उत्तरजीवी और इस रिश्ते से पैदा हुए बच्चे की कमजोर स्थिति के प्रति अपनी आँखें बंद नहीं कर सकती है।

लिव इन रिलेशनशिप में बच्चे का जन्म, पिता मुस्लिम और मां हिंदू, अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

Child born in live in relationship

Modified Date: May 7, 2024 / 03:55 pm IST
Published Date: May 7, 2024 3:51 pm IST

Child born in live in relationship: बिलासपुर। हाईकोर्ट जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस संजय एस अग्रवाल की डीबी ने लिव इन रिलेशनशिप से जन्म लिए बच्चे का संरक्षण प्राप्त करने पेश की गई अपील में बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि समाज के कुछ वर्ग में लिव इन रिलेशनशिप का पालन किया जाता है, जो भारतीय संस्कृति में अभी कलंक के रूप में जारी है, क्योंकि लिव इन रिलेशनशिप एक आयातित दर्शन है, जो भारतीय सिद्धान्तों के सामान्य अपेक्षाओं के विपरीत है।

कोर्ट ने कहा कि विवाहित पुरुष के लिए लिव इन रिलेशनशिप से बाहर निकलना बहुत आसान है। मामले में अदालत इस संकटपूर्ण लिव इन रिलेशनशिप के उत्तरजीवी और इस रिश्ते से पैदा हुए बच्चे की कमजोर स्थिति के प्रति अपनी आँखें बंद नहीं कर सकती है।

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Child born in live in relationship कोर्ट ने मुस्लिम ला में चार शादी की अनुमति होने के तर्क पर कहा इसके लिए सामान्य नियम है। इसमें पहली पत्नी से तलाक होना चाहिये और यह मुस्लिम रीति को मानने वालों के बीच होना चाहिए। मामले में दूसरा पक्ष हिन्दू है और उसने अपना धर्म नहीं बदला है। मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया है।

दंतेवाड़ा निवासी शादीशुदा अब्दुल हमीद सिद्दिकी करीब तीन साल से एक हिंदू महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में था। साल 2021 में महिला ने धर्म परिवर्तन किए बगैर उससे शादी कर ली। पहली पत्नी से उसके तीन बच्चे हैं। हिंदू महिला ने अगस्त 2021 में बच्चे को जन्म दिया। 10 अगस्त 2023 को महिला अपने बच्चे के साथ गायब हो गई।

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इसके बाद अब्दुल हमीद ने 2023 में ही हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई। जिस पर सुनवाई के दौरान महिला अपने माता-पिता और बच्चे के साथ पेश हुई। महिला ने कहा कि वह अपनी इच्छा से अपने माता-पिता के साथ रह रही है। बच्चे से मिलने नहीं देने पर अब्दुल हमीद ने फैमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया। जिसमे कहा गया, कि वह बच्चे की देखभाल करने में सक्षम है, लिहाजा बच्चा उसे सौंपा जाए।

कोर्ट ने आवेदन खारिज कर दिया था। इस पर उसने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में महिला ने तर्क दिया कि विवाह को साबित नहीं कर पाने पर याचिका खारिज हो गई। इसके बाद उसने बच्चे का संरक्षण प्राप्त करने अपील पेश की थी। कोर्ट ने पहली पत्नी से तीन बच्चे होने व लड़की के अपने बच्चे का पालन पोषण करने में सक्षम होने पर अपील खारिज कर दी है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com