रायपुरः CG News नक्सलवाद के नासूर को खत्म करने हर सरकार के अपनी सोच, अपनी नीति और अपना प्रयास रहा, लेकिन मौजूदा डबल इंजन सरकार ने पहली बार नक्सलवाद के खात्में की डेट फिक्स करते हुए 2026 की डेड लाइन तय की। नक्सल फ्रंट पर चल रहे ऑपरेशन्स के साल 2025 में अब तक के आंकड़े भी साफ करते हैं कि नक्सली हिंसा अब आखिरी सांसें गिन रही है। सैंकड़ों नक्सलियों का सरेंडर सरकार के दावे पर मुहर लगता है, लेकिन विपक्ष ने सरेंडर के आंकड़ों पर बार-बार सवाल उठा हैं। अब बीजेपी कांग्रेस को पूछ रही है कि 8 साल सरकार में रहने वाली कांग्रेस, 8 नक्सलियों का सरेंडर तक ना करा पाई।
घनघोर जंगलों के बीच नक्सलवाद का गढ़ रहे पुवर्ति में छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा के समक्ष दुर्दांत नक्सली हिड़मा और बारसे देवा की मां ने अपने बेटों से सरेंडर कराने की अपील की। इस मैसेज को प्रदेश के गृहमंत्री ने राजधानी में मीडिया को दिखाया। मैसेज साफ है कि अब अगर सरेंडर ना किया तो अनहोनी यानि सफाया तय है। हालांकि नक्सलियों की मां की अपील और गृहमंत्री का स्टैंड विपक्षी को रास नहीं आया। कांग्रेस ने तंज कसा कि सरकार खुद नक्सलियों से सरेंडर नहीं करा पाई तो उनकी माताओं से गुहार लगवा रही है। पूर्व PCC चीफ ने एक बार फिर नक्सलियों के प्रत्यर्पण की संख्या पर सवाल उठाए। विपक्ष का तीखा पलटवार भी हुआ। बीजेपी विधायक पुरंदर मिश्रा ने कहा कि 25 के प्रदेश में 8 साल कांग्रेस की सरकार रही लेकिन वो 8 नक्सलियों का भी समर्पण नहीं करा सकी।
CG News साफ है कि विपक्ष को ना तो नक्सलियों के खात्मे के दावे पर यकीन है ना सरेंडर के आंकड़ों पर विश्वास है। कैमरे पर दुर्दांत नक्सलियों के परिजनों की अपने बेटों के सरेंडर की अपील भी कांग्रेस को गलत लगती है। जवाब में बीजेपी ने भी सवाल पूछा है,बार-बार नक्सल मोर्चे पर बीजेपी सरकार को घेरने वाली पार्टी अपने राज में ना नक्सिलयों का सपाया कर पाई ना सरेंडर ही करा पाई? तो फिर वो किस हक से बीजेपी को घेरती है?