Vat Savitri Vrat 2025: पति की सलामती के लिए व्रत! सुहागिनों ने रखी वट सावित्री निर्जला पूजा, वटवृक्ष के नीचे गूंजीं श्रद्धा की कथाएं

पति की सलामती के लिए व्रत...Vat Savitri Vrat 2025: Fasting for the safety of husband! Married women kept Vat Savitri Nirjala Puja

  • Reported By: Komal Dhanesar

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  • Publish Date - May 26, 2025 / 01:43 PM IST,
    Updated On - May 26, 2025 / 01:43 PM IST

Vat Savitri Vrat 2025 | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • सुहाग की सलामती के लिए व्रत,
  • सुहागिनों ने रखी वट सावित्री निर्जला पूजा,
  • वटवृक्ष के नीचे गूंजीं श्रद्धा की कथाएं,

भिलाई: अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना लेकर आज प्रदेशभर में सुहागिनों ने श्रद्धा और आस्था के साथ वट सावित्री निर्जला व्रत रखा। पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी महिलाओं ने सोलह श्रृंगार के साथ व्रत रखकर वटवृक्ष की पूजा की और पति की दीर्घायु की कामना की।

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सुबह से ही मंदिरों और पार्कों में वट वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना के लिए सुहागिनों की भीड़ उमड़ पड़ी। भिलाई सहित अन्य शहरों में भी विशेष रूप से महिलाओं ने पूरे विधि-विधान से पूजा की और रक्षा सूत्र वटवृक्ष के चारों ओर लपेटते हुए परिक्रमा की। पूजा के बाद सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कथा सुनी गई जिसमें बताया गया कि कैसे सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस मांग लिए थे। कथा सुनते समय कई महिलाओं की आंखें श्रद्धा से नम हो गईं।

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इस पावन अवसर पर एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर और सुहाग सामग्री भेंट कर महिलाओं ने इस पर्व को आत्मीयता और सौहार्द से मनाया। नवविवाहिताओं में व्रत को लेकर खासा उत्साह देखा गया। हाथों में मेंहदी, माथे पर बिंदी, चमचमाते गहनों और नई साड़ियों में दुल्हन की तरह सजकर महिलाओं ने पूरे भक्ति भाव से पूजा-अर्चना की।

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धार्मिक मान्यता के अनुसार वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा तने में विष्णु और पत्तों में भगवान शिव का वास होता है। इसलिए यह वृक्ष त्रिदेवों का प्रतीक माना जाता है और इसकी पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। कहा जाता है कि जब यमराज सत्यवान के प्राण ले जा रहे थे तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ीं। यमराज ने उनकी दृढ़ निष्ठा और प्रेम से प्रभावित होकर उन्हें तीन वरदान देने की बात कही। सावित्री ने एक वरदान में सौ पुत्रों की माता बनने का वर मांगा जिससे यमराज को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने चना रूपी सत्यवान के प्राण उन्हें वापस कर दिए। सावित्री ने वह चना सत्यवान के मुख में रखकर फूंक मारी जिससे वे पुनः जीवित हो उठे। तभी से यह व्रत करने वाली महिलाएं वट वृक्ष के नीचे चने का प्रसाद चढ़ाती हैं और रक्षा-सूत्र बांधकर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं।

वट सावित्री निर्जला व्रत कब और क्यों मनाया जाता है?

"वट सावित्री निर्जला व्रत" पति की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए मनाया जाता है, जो आमतौर पर ज्येष्ठ महीने में आता है।

वट सावित्री व्रत की धार्मिक महत्ता क्या है?

यह व्रत सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने अपने पति के जीवन की रक्षा के लिए यमराज को जीतकर वरदान प्राप्त किया था।

वट सावित्री व्रत कैसे रखा जाता है?

सुहागिनें सुबह से निर्जला (बिना जल के) व्रत रखती हैं, वट वृक्ष की पूजा करती हैं, रक्षा सूत्र बांधकर उसकी परिक्रमा करती हैं और सोलह श्रृंगार कर पूजा करती हैं।

वट वृक्ष की पूजा का महत्व क्या है?

वट वृक्ष को त्रिदेवों—ब्रह्मा, विष्णु और शिव—का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसकी पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

वट सावित्री व्रत के दौरान कौन-कौन सी परंपराएं निभाई जाती हैं?

पूजा के बाद महिलाएं सत्यवान-सावित्री की कथा सुनती हैं, सिंदूर लगाती हैं, सुहाग सामग्री भेंट करती हैं, और नवविवाहिता महिलाएं खासतौर पर उत्साहित रहती हैं।