Mahakumbh Conclave 2025: राजिम कुंभ कल्प में भी वर्जित हो गैरहिंदुओं का प्रवेश, महंत सर्वेश्वर दास महाराज ने आईबीसी24 के मंच से कर दी बड़ी मांग

Mahakumbh Conclave 2025: राजिम कुंभ कल्प में भी वर्जित हो गैरहिंदुओं का प्रवेश, महंत सर्वेश्वर दास महाराज ने आईबीसी24 के मंच से कर दी बड़ी मांग

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  • Publish Date - February 22, 2025 / 06:55 PM IST,
    Updated On - February 22, 2025 / 09:02 PM IST

Mahakumbh Conclave 2025/ Image Credit: IBC24

रायपुर। Mahakumbh Conclave 2025: प्रयागराज में जारी महाकुंभ के बीच बीते 12 फरवरी से छत्तीसगढ़ में राजिम कुंभ का आगाज भी हो चुका है, जो कि आने वाले 26 फरवरी महाशिवरात्रि तक रहेगा। इसी बीच प्रदेश के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए राजिम में महाकुंभ कॉन्क्लेव ‘संगम से संगम’ तक के नाम से एक कार्यक्रम का अयोजन किया है। इस कार्यक्रम में राजिम कुंभ कल्प के साथ ही प्रयागराज महाकुंभ की यशगाथा तमाम संतो द्वारा कही जा रही है।

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इस कार्यक्रम के दूसरे पैनल हुआ जिसका नाम था ‘ सनातन का शक्ति केंद्र’ जिसमें महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद गिरी महाराज, स्वामी अखिलेशानंद महाराज, स्वामी ज्ञानस्वरूपानंद महाराज और महंत सर्वेश्वर दास महाराज शामिल हुए। IBC24 के वरिष्ठ एंकर पुनीत पाठक ने सभी संतो से एक बाद एक कई सावल पूछे जिसका सभी ने खुलकर जवाब दिया। इसी कड़ी में IBC24 के वरिष्ठ एंकर पुनीत पाठक ने संतों से महाकुंभ के महत्व से जुड़े सवाल पूछे।Read More: Mahakumbh Conclave 2025: मक्का मदीना में देंगे ​सनातनियों को पूजा की अनुमति! राजिम कुंभकल्प से स्वामी ज्ञानस्वरूपानंद अक्रिय जी महाराज ने उठाए सवाल
Mahakumbh Conclave 2025: उन्होंने पूछा कि, पहले हम टूरिज्म की बात करते थे अब हम आध्यात्म और आध्यात्म से जुड़ें टूरिज्म सर्किट्स की बात करते हैं। यह एक बड़ा परिवर्तन है। जिसका जवाब देते हुए महंत सर्वेश्वर दास महाराज ने कहा कि, अभी तक देश में विदेशियों के विचारधारा के द्वारा ही शासन किया जाता था। शिक्षा नीति हो या संस्कृति हो विदेशी परंपरा में और पश्चिमी सभ्यता में ढलता जा रह है। मावता की जो बात करने वाली संस्कृति है वो सनातन है उसको दबाया जाता था। कुचला जाता था।  हमारे राजिम कुंभ में भी ये नियम लागू करना चाहिए हमारा सनातन , हमारा हिंदू सनातन ये किसी के लिए आर्थिक मजहबी के आय का स्त्रोत ना बन जाए, शोषण का स्त्रोत ना बन जाए। इस पर शासन को ध्यान रखना चाहिए।