शह मात The Big Debat: खत्म अब बंदूक का जोर..सरेंडर से शांति की ओर, क्या लाल आतंक का अंत अब तय है? देखिए पूरी रिपोर्ट

CG Naxal Surrender: खत्म अब बंदूक का जोर..सरेंडर से शांति की ओर, क्या लाल आतंक का अंत अब तय है? देखिए पूरी रिपोर्ट

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  • Publish Date - October 17, 2025 / 11:45 PM IST,
    Updated On - October 17, 2025 / 11:45 PM IST

CG Naxal Surrender | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • 210 नक्सलियों ने 153 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया
  • अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर डिवीजन लगभग खाली
  • सरकार देगी पुनर्वास नीति का लाभ

रायपुर: CG Naxal Surrender बस्तर, जहां कभी बंदूक की गूंज ही पहचान थी। आज वहां संविधान की किताब से नई कहानी लिखी जा रही है। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के सबसे बड़े सरेंडर ने सबको हैरान कर दिया है।

CG Naxal Surrender 210 नक्सलियों ने 153 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है। महिला नक्सलियों की संख्या पुरुषों से ज्यादा और ये नजारा, बस्तर की धरती पर एक नए दौर की दस्तक है। क्या ये वही अंत की शुरुआत है जिसकी बात अमित शाह ने की थी? ऑपरेशन ऑलआउट और सरेंडर पॉलिटिक्स के इस नए दौर पर क्या लाल आतंक का अंत अब तय है?

ये वो तस्वीर है जो बस्तर की मिट्टी पर एक नया इतिहास लिख रही है। वो हथियार, जो कभी सुरक्षा बलों पर बरसते थे, आज सरकार के सामने झुक गए हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के ऐतिहासिक आत्मसमर्पण ने बस्तर से नक्सलवाद की जड़ों को हिला कर रख दिया है। डीकेएसजेडसी रैंक से लेकर डिविजन स्तर तक के सैकड़ों नक्सलियों ने हथियार डाल दिए हैं। अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर डिवीजन लगभग खाली हो चुके हैं।

जगदलपुर के पुलिस लाइन परिसर में जब बसों में बैठे 210 नक्सली उतरे, तो वो पल इतिहास बन गया। महिला नक्सलियों की संख्या पुरुषों से अधिक रही। हर आत्मसमर्पित नक्सली को भारतीय संविधान की किताब और एक गुलाब देकर स्वागत किया गया। सरकार पुनर्वास नीति के तहत मकान, जमीन और तीन साल की आर्थिक सहायता देगी। पिछले 20 महीनों में 1,876 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। ये बस्तर के बदलते चेहरे की पहचान है।

इस आत्मसमर्पण में अबूझमाड़ डिवीजन पूरी तरह खत्म हुआ, उत्तर बस्तर डिवीजन लगभग खाली हो गया। पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र के दर्जनों कैडर ने भी हथियार डाल दिए हैं। सेंट्रल कमेटी मेंबर रूपेश उर्फ टी. वासुदेव राव 1 करोड़ के इनामी ने भी मुख्यधारा में वापसी की है।

भूपति, जो 80 के दशक से माओवादी आंदोलन का चेहरा था, उसने भी गढ़चिरोली में सरेंडर कर दिया। और इसके साथ ही माओवादी संगठन की रीढ़ टूट चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कहा था कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का नामोनिशान मिट जाएगा। इस ऐलान के बाद सुरक्षा बलों ने जमीनी स्तर पर ऑपरेशन तेज किए। नतीजा ये कि अबूझमाड़, कांकेर, कोंडागांव, बीजापुर और गढ़चिरोली में नक्सलवाद लगभग खत्म हो गया है। वहीं मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को सरकार तीन साल तक आर्थिक सहायता देगी। उन्हें पुनर्वास नीति का पूरा लाभ मिलेगा।

कुलमिलाकर, बस्तर की धरती अब बारूद की नहीं। बदलाव की खुशबू से महक रही है। जो कभी जंगल के साए में खौफ का नाम थे, आज वही लोग संविधान की किताब थामे नए जीवन की शुरुआत कर रहे हैं। लाल रास्ते से लौटती जिंदगियां। यही है नए बस्तर की कहानी, जहां बंदूकें नहीं। अब उम्मीदें जन्म ले रही हैं।

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बस्तर में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की कुल संख्या कितनी है?

हाल ही में 210 नक्सलियों ने हथियार डाले हैं, जबकि पिछले 20 महीनों में कुल 1,876 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं।

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार क्या सुविधा दे रही है?

उन्हें पुनर्वास नीति के तहत मकान, जमीन और तीन साल की आर्थिक सहायता दी जा रही है।

आत्मसमर्पण में शामिल प्रमुख नक्सली कौन थे?

सेंट्रल कमेटी मेंबर रूपेश उर्फ टी. वासुदेव राव (₹1 करोड़ का इनामी) और वरिष्ठ नक्सली भूपति ने भी आत्मसमर्पण किया।