Jashpur News: छत्तीसगढ़ की इन गांवों में सोने की खोज, नदी किनारे छिपा हुआ है सदियों से खजाना, देखकर आप भी रह जाएंगे दंग

Jashpur News: छत्तीसगढ़ की इन गांवों में सोने की खोज, नदी किनारे छिपा हुआ है सदियों से खजाना, देखकर आप भी रह जाएंगे दंग

  • Reported By: priyal jindal

    ,
  •  
  • Publish Date - November 30, 2025 / 10:51 AM IST,
    Updated On - November 30, 2025 / 10:52 AM IST

Jashpur News/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • जशपुर की नदियों में सोने की खोज
  • शपुर के गांवों में सोने की चमक
  • ग्रामीणों की पुरानी परंपरा आज भी जीवित

जशपुर : Jashpur News: आधुनिक युग में जहां रोजगार के नए साधन उभर रहे हैं वहीं जशपुर जिले के ग्रामीण आज भी अपनी पुरानी परंपराओं के जरिए जीवनयापन कर रहे हैं। जिले की इब और मैनी नदियों के किनारे इन दिनों सोना तलाशने की परंपरा एक बार फिर जीवित हो उठी है।

नदियों में सोने की खोज (Jashpur gold mining news)

Gold Mining in Jashpur:   सुबह होते ही ग्रामीण महिलाएं और पुरुष टोकनी और छलनी लेकर नदी तट की रेत छानने पहुँच जाते हैं। दिनभर की मेहनत के बाद रेत के कणों में छिपा सोना खोज निकालते हैं। साढुकछार के इतवारी बाई और दिनेश राम बताते हैं कि यह काम उनके पूर्वजों से चला आ रहा है, और वे आज भी इसी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। उनका कहना है इस काम से हमें रोज़ की मजदूरी के बराबर आमदनी हो जाती है, और कई बार दो दिन की मजदूरी जितना सोना भी मिल जाता है।

Jashpur News:  तामामुंडा, भालूमुंडा, लवाकेरा समेत अन्य ग्रामीणों के मुताबिक, पहले के मुकाबले अब रेत में सोने के कणों की मात्रा कम हो गई है, फिर भी यह काम उनकी जीविका का मुख्य साधन बना हुआ है। दिनभर की मेहनत के बाद जो थोड़ी मात्रा में सोना मिलता है उसे स्थानीय बाजार में बेचकर परिवार की जरूरतें पूरी की जाती हैं। नदी किनारे का यह दृश्य न केवल मेहनत और उम्मीद की तस्वीर पेश करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जशपुर की धरती आज भी अपने लोगों को सोने की चमक से जोड़े रखे हुए है।

यह भी पढ़ें

जशपुर जिले में सोना तलाशने की परंपरा कब से चल रही है?

जशपुर जिले में सोना तलाशने की परंपरा सदियों पुरानी है और यह काम स्थानीय ग्रामीणों के पूर्वजों से चला आ रहा है। आज भी कई ग्रामीण इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं।

जशपुर जिले में सोना कैसे मिलता है?

ग्रामीण महिलाएं और पुरुष नदी तट की रेत छानकर सोने के कणों को ढूँढते हैं। हालांकि, अब पहले के मुकाबले सोने की मात्रा कम हो गई है, फिर भी यह काम उनकी रोज़ी-रोटी का एक महत्वपूर्ण साधन है।

सोने के कणों को बेचने के बाद ग्रामीणों को कितनी आमदनी होती है?

ग्रामीणों का कहना है कि दिनभर की मेहनत के बाद वे जो सोना प्राप्त करते हैं, उसे स्थानीय बाजार में बेचकर अपनी रोज़ की जरूरतें पूरी करते हैं। कई बार उन्हें दो दिन की मजदूरी के बराबर सोना मिल जाता है।