Reported By: dhiraj dubay
,Kawardha News, image source: ibc24
कवर्धा: Kawardha News, कवर्धा में फर्जी दस्तावेज के आधार पर सरकारी नौकरी करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि सामान्य वर्ग के दो शिक्षकों द्वारा अनुसूचित जनजाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर सरकारी नौकरी किया जा रहा है। जिसे लेकर आदिवासी समाज में आक्रोश फैल गया है। मामले का विरोध करते हुए आदिवासी समाज के लोगों ने आज सामाजिक पदाधिकारियों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन सौंपा और दोषी शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
Kawardha News, ज्ञापन में आदिवासी समाज ने आरोप लगाया कि इन दोनों शिक्षकों ने झूठे प्रमाण पत्र बनाकर न केवल सरकारी नौकरी हासिल की, बल्कि वास्तविक अनुसूचित जनजाति वर्ग के पात्र उम्मीदवारों का अधिकार भी छीन लिया। समाज के लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं आदिवासी समाज के हक और सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली हैं और प्रशासन को सख्ती से ऐसे मामलों पर संज्ञान लेना चाहिए।
वहीं अजजा के कार्यकारी प्रदेशअध्यक्ष कामू बैगा ने कहा कि इस मामले पर आदिवासी समाज ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो वे व्यापक स्तर पर आंदोलन करने को बाध्य होंगे। वहीं ज्ञापन स्वीकार करने वाले प्रशासनिक अधिकारी डिप्टी कलेक्टर कवर्धा आरपी देवांगन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच की जाएगी। जांच के बाद दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
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Kawardha News, इसके पहले बिलासपुर में आदिवासी के फर्जी जाति प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी पाने वाली महिला शिक्षक को संयुक्त संचालक शिक्षा ने बर्खास्त किया था। उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति की रिपोर्ट और हाईकोर्ट से शिक्षिका की याचिका खारिज होने के बाद विभाग ने यह कार्रवाई की है। महिला ने फर्जी प्रमाणपत्र से लगभग 18 साल नौकरी कर ली थी। महिला अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) जाति की थी। उसने आदिवासी बैगा के नाम का फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर 2006 में नौकरी प्राप्त की थी।
प्रकरण के अनुसार उर्मिला बैगा बिल्हा ब्लॉक के गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में पदस्थ थीं। उन पर यह आरोप था कि उन्होंने अनुसूचित जनजाति का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी हासिल की है। इस मामले की शिकायत पर रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की छानबीन समिति ने शिक्षिका के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच की।
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