Mahasamund News: छत्तीसगढ़ में पति पत्नी ने कर दी इच्छा मृत्यु की मांग, कलेक्टर और SP को पत्र लिखकर कह दी ये बड़ी बात

छत्तीसगढ़ में पति पत्नी ने कर दी इच्छा मृत्यु की मांग...Mahasamund News: Husband and wife demanded euthanasia in Chhattisgarh

Mahasamund News | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • महासमुंद: पति पत्नी ने मांगी इच्छामृत्यु की अनुमति,
  • दबंगों की प्रताड़ना से तंग आकर दंपति मांगी इच्छामृत्यु,
  • कलेक्टर और एसपी से मांगी इच्छामृत्यु की अनुमति,

महासमुंद: Mahasamund News: जिले के ग्राम रिखादादर के रहने वाले एक दंपति ने कलेक्टर व एसपी से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। पीड़ित ने कलेक्टर व एसपी को दिए गए आवेदन में लिखा है कि मैं कैलाश प्रधान और मेरी पत्नी कामिनी प्रधान, पुत्री हिमाद्री, पुत्र दुर्गेश ग्राम रिखादादर, तहसील पिथौरा में अपनी हक की ज़मीन पर रहते हैं। मेरी ज़मीन पर ग्राम के दबंगों द्वारा ज़बरन कब्जा कर लिया गया है और हमें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है।

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Mahasamund News: पीड़ित ने लिखा है कि पिछले दस वर्षों से वह विभिन्न शासकीय कार्यालयों में शिकायत कर रहे हैं। उनकी शिकायत पर वर्ष 2020-21 में तत्कालीन तहसीलदार ने सीमांकन करवा कर ग्रामवासियों के समक्ष विधिवत रूप से ज़मीन नापकर उन्हें सौंपी थी। लेकिन इसके बावजूद दबंगों ने दोबारा कब्जा कर लिया।

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Mahasamund News: उन्होंने आरोप लगाया है कि दबंग उन्हें गांव से भगाना चाहते हैं और उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। प्रशासन से निराश होकर उन्होंने इच्छामृत्यु की अनुमति की मांग की है। वहीं इस पूरे मामले में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मामले को संज्ञान में लेकर उचित कार्रवाई की बात कह रहे हैं।

"इच्छामृत्यु की अनुमति" किसने और क्यों मांगी है?

महासमुंद जिले के ग्राम रिखादादर निवासी कैलाश प्रधान और उनकी पत्नी ने जमीन विवाद और दबंगों की प्रताड़ना से परेशान होकर कलेक्टर और एसपी से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है।

क्या इस "जमीन विवाद" में पहले भी कोई सरकारी कार्रवाई हुई थी?

हाँ, वर्ष 2020-21 में तत्कालीन तहसीलदार ने सीमांकन कर जमीन पीड़ित को सौंप दी थी, लेकिन बाद में दबंगों ने दोबारा कब्जा कर लिया।

"दबंगों द्वारा प्रताड़ना" की शिकायत कहाँ की गई थी?

पीड़ित परिवार पिछले 10 वर्षों से विभिन्न सरकारी कार्यालयों में शिकायत कर रहा है, लेकिन उन्हें अब तक राहत नहीं मिली है।

"प्रशासनिक कार्रवाई" की वर्तमान स्थिति क्या है?

पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले को संज्ञान में लेकर उचित कार्रवाई करने की बात कही है।

क्या "इच्छामृत्यु की मांग" कानूनी रूप से मान्य हो सकती है?

भारत में इच्छामृत्यु (Passive Euthanasia) विशेष शर्तों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा वैध मानी गई है, लेकिन इस तरह की मांग पर विधिवत मेडिकल और कानूनी प्रक्रिया के बाद ही निर्णय लिया जाता है।