पुलिस के प्रति जन धारणा को बदलने की आवश्यकता : प्रधानमंत्री मोदी

पुलिस के प्रति जन धारणा को बदलने की आवश्यकता : प्रधानमंत्री मोदी

  •  
  • Publish Date - November 30, 2025 / 06:54 PM IST,
    Updated On - November 30, 2025 / 06:54 PM IST

रायपुर, 30 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि मादक पदार्थों के दुरुपयोग से निपटने के लिए एक “संपूर्ण सरकारी” दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें प्रवर्तन, पुनर्वास और सामुदायिक स्तर पर हस्तक्षेप को एकीकृत किया जाए।

उन्होंने सार्वजनिक धारणा, विशेषकर युवाओं में, पुलिस के प्रति नजरिये में बदलाव की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके लिए पेशेवर दक्षता और संवेदनशीलता बढ़ाने तथा शहरी और पर्यटन पुलिसिंग को सशक्त करने की जरूरत है।

भारतीय प्रबंधन संस्थान, रायपुर में पुलिस महानिदेशकों/महानिरीक्षकों के 60वें अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने प्रतिबंधित संगठनों की नियमित निगरानी, ​​वामपंथी उग्रवाद से मुक्त क्षेत्रों के समग्र विकास और तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नवीन मॉडलों को अपनाने का आह्वान किया।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उन्होंने शहरी पुलिसिंग को मजबूत करने, पर्यटक पुलिस इकाइयों को पुनर्जीवित करने और औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले नव-अधिनियमित भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया।

“विकसित भारत: सुरक्षा आयाम” विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित अन्य लोग शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने पुलिस नेतृत्व से विकासशील राष्ट्र की आकांक्षाओं के अनुरूप पुलिस कार्यप्रणाली को पुनः व्यवस्थित करने का आह्वान करते हुए कहा कि ‘विकसित भारत’ की ओर अग्रसर होते हुए पुलिस के प्रति जनता की धारणा, विशेषकर युवाओं के बीच, बेहतर व्यावसायिकता, संवेदनशीलता और जवाबदेही के माध्यम से बदलाव लाने की आवश्यकता है।

मोदी ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस फोर्स से कहा कि वे सुनसान द्वीपों को जोड़ने के लिए नई रणनीति अपनाएं, नेटग्रिड के तहत जुड़े आंकड़ों का ज्यादा असरदार इस्तेमाल करें, और कार्रवाई लायक जानकारी जुटाने के लिए कृत्रिम मेधा का इस्तेमाल करें।

उन्होंने विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों को पुलिस जांच में फॉरेंसिक के उपयोग पर ‘केस स्टडी’ करने के लिए प्रोत्साहित करने की बात भी कही। उनका कहना था कि फॉरेंसिक तकनीकों का व्यापक उपयोग आपराधिक न्याय प्रणाली को उल्लेखनीय रूप से मजबूत बना सकता है।

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मजबूत तैयारी और समन्वय की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने पुलिस प्रमुखों से चक्रवात, बाढ़ और अन्य आपात स्थितियों, जिनमें चक्रवात ‘दित्वा’ का वर्तमान प्रभाव भी शामिल है, से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन तंत्र को सुदृढ़ करने को कहा।

उन्होंने कहा, “जीवन की सुरक्षा के लिए सक्रिय योजना, वास्तविक समय में समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया आवश्यक है।”

बयान में कहा गया कि विजन 2047 के लिए पुलिसिंग की दीर्घकालिक कार्ययोजना, आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ उभरते रुझान, महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने, विदेशों में स्थित भारतीय भगोड़ों को वापस लाने की रणनीति और प्रभावी जांच तथा अभियोजन सुनिश्चित करने के लिए फोरेंसिक क्षमताओं को मजबूत करने पर चर्चा हुई।

बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

मोदी ने सम्मेलन में खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों को विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक वितरित किये।

उन्होंने शहरी पुलिस व्यवस्था में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले तीन शहरों को पुरस्कार भी प्रदान किए, यह सम्मान शहरी पुलिस व्यवस्था में नवाचार और सुधार को प्रोत्साहित करने के लिए पहली बार स्थापित किया गया है।

भाषा प्रशांत पवनेश

पवनेश

पवनेश