Reported By: Rajesh Mishra
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रायपुर: CG Politics: छत्तीसगढ़ में रेत माफिया, सरकार और प्रशासन को लगातार खुली चुनौती दे रहे हैं। माफिया के गुर्गे मारपीट से लेकर लोगों की हत्या तक करने से पीछे नहीं हटते। ताज़ा घटना बलौदाबाजार की है जहाँ पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर एक युवक को तालिबानी सज़ा दी गई। वीडियो वायरल होने पर भारी बवाल मच गया। कांग्रेस को बैठे-बिठाए मुद्दा मिल गया। कांग्रेस ने सीधे आरोप लगाया कि इन माफियाओं को सरकारी संरक्षण मिल रहा है। तो सवाल उठता है की माफिया को कानून का डर क्यों नहीं है? क्या कार्रवाई की तीव्रता में कमी है या फिर कुछ और खेल चल रहा है? देखिए एक रिपोर्ट…
CG Politics: छत्तीसगढ़ में खनन माफिया के हौसले कितने बुलंद हैं इसका ताज़ा उदाहरण सोशल मीडिया में वायरल हो रहे ये वीडियो हैं। खनन माफिया की गुंडई का ताज़ा मामला बलौदाबाजार से सामने आया है, जहाँ एक युवक को खंभे से बांधकर तालिबानी सज़ा दी गई। युवक का कसूर बस इतना था कि माफिया के गुर्गों को शक था कि वह पुलिस का मुखबिर है।
CG Politics: बलौदाबाजार के खपरीडीह गांव का यह वीडियो 12 जून का बताया जा रहा है जो अब सामने आया है। माफिया का इतना खौफ है कि लोग तमाशा देखते रहे, लेकिन कोई भी पीड़ित परमेश्वर साहू को बचाने नहीं आया। गिधौरी थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। उधर इस वीडियो के सामने आने से सियासी बवाल मच गया है। कांग्रेस ने सरकार पर माफिया के संरक्षण का आरोप लगाया है। कांग्रेस के निशाने पर आते ही सरकार हरकत में आई। सरकार ने चेताया है कि छत्तीसगढ़ में माफिया की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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CG Politics: खनिज माफिया की दबंगई की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई मामले सामने आ चुके हैं 11 जून 2025 को राजनांदगांव के मोहड़ गांव में खनन माफिया को रोकने पर ग्रामीणों पर फायरिंग की गई, जिसमें दो लोग घायल हो गए थे। इसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस को गांव में घुसने नहीं दिया। 9 जून 2025 को राजिम में अवैध रेत खनन की कवरेज के दौरान पत्रकारों पर हमला किया गया। पत्रकारों को दौड़कर जान बचानी पड़ी। 12 मई 2025 को बलरामपुर के लिबरा रेत घाट पर आरक्षक शिव बचन सिंह ने जब माफिया का ट्रैक्टर रोकने की कोशिश की, तो ड्राइवर ने उन्हें ट्रैक्टर से कुचलकर मार डाला।
CG Politics: तो बड़ा सवाल यही है कि प्रदेश में रेत माफिया बार-बार प्रशासन को खुली चुनौती क्यों दे रहे हैं? क्या उन्हें किसी का संरक्षण प्राप्त है? सरकार बदली, अधिकारी बदले फिर भी माफिया बेखौफ क्यों हैं?