Madvi Hidma Encounter Planning: दिल्ली में तय हो गई थी माड़वी हिड़मा की मौत की तारीख! पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही दे दिया था संकेत, दे​खिए वीडियो

PM Modi Deadline to Naxalites in Chhattisgarh: दिल्ली में तय हो गई थी माड़वी हिड़मा की मौत की तारीख! पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही दे दिया था संकेत, दे​खिए वीडियो

Madvi Hidma Encounter Planning: दिल्ली में तय हो गई थी माड़वी हिड़मा की मौत की तारीख! पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही दे दिया था संकेत, दे​खिए वीडियो

Madvi Hidma Encounter Planning: दिल्ली में तय हो गई थी माड़वी हिड़मा की मौत की तारीख! पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही दे दिया था संकेत / Image: File

Modified Date: November 18, 2025 / 01:35 pm IST
Published Date: November 18, 2025 1:12 pm IST
HIGHLIGHTS
  • माड़वी हिड़मा को तेलंगाना-छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने मार गिराया
  • नक्सलवाद पर दिए बयान के ठीक बाद यह बड़ी कार्रवाई हुई
  • जीरम हमले सहित कई बड़ी वारदातों का मुख्य साजिशकर्ता

रायपुर: Madvi Hidma Encounter Planning:  नक्सल मुक्त बस्तर अभियान के तहत आज सुरक्षा बल को बड़ी सफलता मिली है। तेलंगाना-छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर जवानों ने मुठभेड़ में टॉप नक्सली लीडर माड़वी हिड़मा को ढेर कर दिया है (Madvi Hidma Encounter, Hidma Bastar Encounter)। हिड़मा जिसका पूरा नाम माड़वी हिड़मा है, कई और नामों से भी जाना जाता है। हिड़मा उर्फ संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा। माड़वी हिडमा देश के सबसे खतरनाक नक्सली में से एक था (Maadvi Hidma Killed)। माड़वी हिडमा का मारा जाना किसी बड़ी सफलता से कम नहीं है। लेकिन क्या आपको पता है कि हिड़मा को मार गिराने के लिए छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि दिल्ली तक रणनीति तैयार की गई, जिसके बाद सुरक्षा बल के जवानों ने उसे ढेर किया है (Chhattisgarh Naxal Encounter, Sukma Naxal Encounter)।

Cg Naxal Encounter: पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही दे दिया था संकेत

दरअसल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने के लिए मार्च 2026 तक की समय सीमा तय कर दी थी (PM Modi Deadline to Naxalites in Chhattisgarh)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश के अनुसार बस्तर में लगातार नक्सलियों के सफाए का काम चल रहा था। लेकिन कल पीएम मोदी ने रामनाथ गोयनका लेक्चर कार्यक्रम के दौरान नक्सलियों के खात्मे को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा था कि पूरे देश में नक्सलवाद आतंक का दायरा तेजी से सिमट रहा है। लेकिन कांग्रेस के दौर में ये तेजी से फल फूल रहा था। बीते पांच दशकों तक देश के करीब-करीब हर बड़ा राज्य माओवादियों की चपेट में रहा, लेकिन ये देश का दुर्भाग्य था कि भारत के संविधान को नकारने वाले माओवादियों को कांग्रेस पालती पोसती रही। कांग्रेस ने न सिर्फ दूर दराज के जंगलों में बल्कि शहरों में नक्सलवाद की जड़ों को खाद पानी दिया। कई बड़ी संस्थाओं में कांग्रेस ने अर्बन नक्सलियों को पनाह दी। पीएम मोदी के इस संबोधन को देखते हुए ये कहा जा रहा है कि माड़वी हिड़मा की मौत की तारीख दिल्ली में तय हो चुकी थी, जिसका इशारा पीएम मोदी ने एक दिन पहले ही दे दिया था।

दूसरी ओर गृहमंत्री होने के नाते विजय शर्मा का पूरा फोकस अब सिर्फ इसी पर है। प्रदेश के बस्तर, गरियाबंद में बड़ी संख्या में नक्सली हथियार डाल रहे हैं। लेकिन दो फाड़ हुए नक्सलियों का एक गुट सरेंडर को राजी नहीं है। ऐसे में अब प्रशासन के पास उनका एनकांउटर करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था (CG Naxal Encounter, Hidma Naxal Encounter)। लेकिन मानवीय दृिष्टीकोण से खुद डिप्टी सीएम विजय शर्मा हिड़मा के गांव पहुंचे और उन्होंने देवा और हिड़मा की माताओं से मुलाकात कर दोनों को सरेंडर करवाने की अपील की। विजय शर्मा के निवेदन के बाद दोनों नक्सलियों की मांओं ने एक वीडियो जारी कर अपने बेटों से सरेंडर करने की अपील की थी, लेकिन वो नहीं मानें। आखिरकार आज पुलिस ने माड़वी हिड़मा को मार गिराया।

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कौन था हिड़मा? जानें उसका पूरा इतिहास

हिड़मा जिसका पूरा नाम माड़वी हिड़मा है, कई और नामों से भी जाना जाता है। हिड़मा उर्फ संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा। मोस्ट वांटेड की सूची में टॉप इस नक्सली की कद काठी कोई खास आकर्षक नहीं बल्कि यह कद में नाटा और दुबला-पतला है, जैसा कि सुरक्षा बलों के पास उपलब्ध पुराने फोटो में दिखाई देता है। हालाँकि अब पुलिस के पास उसकी ताजा तस्वीर भी मौजूद है। ये बात अलग है कि बस्तर के माओवादी आंदोलन में शामिल स्थानियों की तुलना में उसका माओवादी संगठन में कद काफी बड़ा है। वर्ष 2017 में अपने बलबूते और रणनीतिक कौशल के साथ नेतृत्व करने की क्षमता के कारण सबसे कम उम्र में माओवादियों की शीर्ष सेन्ट्रल कमेटी का मेम्बर बन चुका है। माओवादियों के इस आदिवासी चेहरे को छोड़कर नक्सलगढ़ दण्डकारण्य में बाकी कमाण्डर्स आंध्रप्रदेश या अन्य राज्यों के रहे हैं। इनमें भी ज्यादातर कमांड मारे जा चुके है, लेकिन हिड़मा पुलिस के लिए प्राइम टारगेट बना हुआ था।

Chhattisgarh Naxal Operation: आखिर हिड़मा कैसे बन गया नक्सली?

इस सवाल का जवाब वो इलाका है ,जहां से वो आता है। हिड़मा का गांव पुवर्ती बताया है, जो सुकमा जिले के जगरगुण्डा जैसे दुर्गम जंगलों वाले इलाके में स्थित है। यह गांव जगरगुण्डा से 22 किलोमीटर दूर दक्षिण में है,जहां पहुंचना बहुत मुश्किल है। ये वो इलाका है। पिछले साल तक यहां सिर्फ नक्सलियों की जनताना सरकार का शासन चलता था लेकिन पुलिस और सुरक्षबलों ने नक्सलियों के इस राजधानी को अपने कब्जे में लिया और यहाँ अब पुलिस कैम्प भी स्थापित कर लिया गया है।

बता दें कि, नक्सलियों के यह गाँव न सिर्फ एक आम गाँव था बल्कि प्रयोगशाला भी थी। नक्सलियों ने यहां अपने तालाब बनवाये थे, जिनमें मछली पालन होता था, गांवों में सामूहिक खेती होती थी। हिड़मा की उम्र यदि 40 साल के आसपास भी मान ली जाए, तो वो ऐसे समय और स्थान पर पैदा हुआ,जहां उसने सिर्फ माओवादियों और उनके शासन को देखा और ऐसे ही माहौल में वो पला-बढ़ा और पढ़ा। हालांकि वो सिर्फ 10 वीं तक ही पढ़ा था, लेकिन अध्ययन की उसकी आदत ने उसे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने में अभ्यस्त बना दिया था। बताते है कि, अंग्रेजी साहित्य के साथ माओवादी और देश-दुनिया की जानकारी हासिल करने में उसकी खासी रुचि थी।

 

कैसे हुई पहचान कि यही हिड़मा है?

हिड़मा की पहचान का सबसे बड़ा निशान उसके बाएं हाथ की एक अंगुली ना होना है। हमेशा नोटबुक साथ में लेकर चलने वाला ये दुर्दांत नक्सली समय-समय पर अपने नोट्स भी तैयार करता था। वह माओवादी विचारधारा को लेकर बेहद गंभीर था। इसकी पुष्टि, उसके कई अंगरक्षक, जो अब सरेंडर कर चुके है, उन्होंने भी साक्षात्कारों में किया है।

वर्ष 1990 में मामूली लड़ाके के रुप में माओवादियों के साथ जुड़ने वाला यह आदिवासी सटीक रणनीति बनाने और तात्कालिक सही निर्णय लेने की क्षमता के कारण बहुत ही जल्दी एरिया कमाण्डर बन गया था। वर्ष 2010 में ताड़मेटला में सीआरपीएफ को घेरकर 76 जवानों की जान लेने में भी हिड़मा की मुख्य भूमिका रही। इसके 3 साल बाद 2013 में जीरम हमले में कांग्रेस के बड़े नेताओं सहित 31 लोगों की जान लेने वाली नक्सली घटना में भी हिड़मा के शामिल होने का दावा किया आजाता रहा है। वर्ष 2017 में बुरकापाल में हमला कर सीआरपीएफ के 25 जवानों की शहादत का जिम्मेदार भी इसी ईनामी नक्सली को माना जाता है। खुद ए के -47 रायफल लेकर चलने वाला हिड़मा चार चक्रों की सुरक्षा से घिरा रहता था।

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"दीपक दिल्लीवार, एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 10 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ऑनलाइन समाचार वेबसाइट से की थी, जहां उन्होंने राजनीति, खेल, ऑटो, मनोरंजन टेक और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें राजनीति, खेल, मनोरंजगन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी काफी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदार रिपोर्ट पेश की है। दीपक दिल्लीवार, पिछले 5 साल से IBC24 न्यूज पोर्टल पर लीडर के तौर पर काम कर रहे हैं। इन्हें अपनी डेडिकेशन और अलर्टनेस के लिए जाना जाता है। इसी की वजह से वो पाठकों के लिए विश्वसनीय जानकारी के सोर्स बने हुए हैं। वो, निष्पक्ष, एनालिसिस बेस्ड और मजेदार समीक्षा देते हैं, जिससे इनकी फॉलोवर की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। काम के इतर बात करें, तो दीपक दिल्लीवार को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है। वो हेल्दी वर्क लाइफ बैलेंस करने में यकीन रखते हैं।"