Wild Buffalo Conservation: वन विभाग ने वन भैंसा और काले हिरण के संरक्षण के लिए उठाया बड़ा कदम, जानिए बैठक में बनी कौन-कौन सी नई रणनीतियाँ

नवा रायपुर में हुई बैठक में वन भैंसा और काले हिरण के संरक्षण, स्थानांतरण और वैज्ञानिक मॉनिटरिंग पर महत्वपूर्ण रणनीतियाँ तय की गईं।

Wild Buffalo Conservation: वन विभाग ने वन भैंसा और काले हिरण के संरक्षण के लिए उठाया बड़ा कदम, जानिए बैठक में बनी कौन-कौन सी नई रणनीतियाँ

Wild Buffalo Conservation / Image Source: IBC24

Modified Date: November 27, 2025 / 08:47 pm IST
Published Date: November 27, 2025 8:46 pm IST
HIGHLIGHTS
  • वन भैंसा संरक्षण के लिए जियो-मैपिंग और वैज्ञानिक प्रयासों पर जोर।
  • बारनवापारा में काले हिरण की संख्या 190 तक पहुँची।
  • स्थानांतरण हेतु NBWL और NTCA से अनुमति प्रक्रिया तेज करने का निर्णय।

रायपुर : छत्तीसगढ़ वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन अरुण कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में नवा रायपुर स्थित आरण्य भवन में विगत गुरुवार को महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में वन भैंसा (वाइल्ड बफैलो) के संरक्षण, संख्या वृद्धि, स्थानांतरण तथा वन्यजीव प्रबंधन से जुड़े प्रमुख बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की गई।

वन भैंसा संरक्षण पर विस्तृत विमर्श

Wild Buffalo Conservation बैठक में राज्य के राजकीय पशु वन भैंसा की संख्या वृद्धि एवं संरक्षण पर सर्वप्रथम विस्तृत चर्चा हुई। पाण्डेय ने कहा कि इस कार्य में सभी विभागीय अधिकारियों और विशेषज्ञों के समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने एक व्यापक कार्ययोजना बनाकर प्रभावी रूप से क्रियान्वयन करने पर जोर दिया।
डॉ. आर.पी. मिश्रा ने प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से वन भैंसा संरक्षण के अब तक हुए कार्यों, वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि वन भैंसा प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा वन्य जीव है और इसके संरक्षण के लिए निरंतर वैज्ञानिक प्रयास जरूरी हैं।

उदंती-सीतानदी व बारनवापारा में संरक्षण कार्य

Wild Buffalo Conservation बैठक में बताया गया कि उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व तथा बारनवापारा अभयारण्य में वन भैंसा संरक्षण व प्रजनन (मेटिंग) के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है। वर्तमान में बारनवापारा में 1 नर और 5 मादा वन भैंसे मौजूद हैं। वन भैंसों की वास्तविक संख्या और शुद्ध नस्ल की पहचान के लिए जियो-मैपिंग तकनीक का उपयोग करने की योजना भी प्रस्तुत की गई। साथ ही वन भैंसों के खानपान, रहवास और स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्थाओं को और मजबूत करने के निर्देश दिए गए।

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स्थानांतरण एवं अनुमतियों की प्रक्रिया तेज करने का निर्णय

Wild Buffalo Conservation बैठक में यह सुनिश्चित किया गया कि वन भैंसों के स्थानांतरण के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ तथा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) से आवश्यक अनुमतियाँ शीघ्र प्राप्त की जाएँगी। इसके लिए एक विशेष दल (डेलिगेशन) को जल्द ही दिल्ली भेजा जाएगा।वन भैंसों की चिकित्सा देखभाल हेतु दो पशु चिकित्सकों को पूर्णकालिक रूप से उपलब्ध रखने का निर्णय लिया गया ताकि स्थानांतरण एवं संरक्षण के दौरान उनके जीवन एवं स्वास्थ्य को कोई जोखिम न हो।
साथ ही सेंट्रल जू अथॉरिटी (CZA) से अनुमति लेकर जंगल सफारी व अन्य स्थानों पर सैटेलाइट-आधारित निगरानी प्रणाली विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।

काला हिरण (कृष्ण मृग) संरक्षण पर भी चर्चा

Wild Buffalo Conservation बैठक में राज्य में काला हिरण (Blackbuck) के संरक्षण और संख्या वृद्धि पर भी चर्चा हुई। बताया गया कि लगभग 50 वर्षों के बाद वर्ष 2018 में बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में काला हिरण पुनर्स्थापन कार्यक्रम शुरू किया गया था।
संरक्षण कार्यों के तहत बाड़ों में रेत व जल निकासी प्रणाली में सुधार,पोषण की निगरानी,समर्पित संरक्षण टीम की तैनाती ,जैसे कार्य किए गए। इसके परिणामस्वरूप वर्तमान में बारनवापारा में लगभग 190 काले हिरण मौजूद हैं। इस सफलता को देखते हुए अन्य अभयारण्यों में भी काले हिरण को पुनर्स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है।

Wild Buffalo Conservation इस अवसर पर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) व्ही. माधेश्वरन, मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) एवं क्षेत्रीय निदेशक उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व सुश्री सतीविशा समाजदार, वनमंडलाधिकारी बलौदाबाजार धम्मशील गनवीर, उप संचालक इंद्रावती टाइगर रिजर्व संदीप बलगा, डॉ. आर.पी. मिश्रा (WTI), वैज्ञानिक डॉ. सम्राट मंडल (WII), वैज्ञानिक डॉ. विवश पांडेव (WII), डॉ. राहुल कौल (वाइल्ड बफैलो प्रोजेक्ट), डॉ. संदीप तिवारी (वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन), डॉ. कोमोलिका भट्टाचार्य (WTI), डॉ. जी.के. दत्ता (कामधेनु विश्वविद्यालय), डॉ. जसमीत सिंह (कामधेनु विश्वविद्यालय), जगदीश प्रसाद दरो, पी.के. चंदन (कानन पेंडारी), डॉ. जय किशोर जड़िया (जंगल सफारी), कृषानू चंद्राकर (बारनवापारा) सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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