नई दिल्लीः SarkarOnIBC24: छत्तीसगढ़ की साय सरकार ‘सुशासन तिहार 2025’ की शुरुआत कर रही है। अप्रैल से शुरू होने वाले इस सरकारी कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार है, सरकार के सभी अंग इसकी तैयारी में जुटे हैं, निर्देश के मुताबिक प्रशासनिक अमला मुस्तैदी से व्यवस्था बनाने में जुटा है, लेकिन विपक्ष को ये मुहिम रास नहीं आ रही। विपक्ष कहता है सुशासन के दावे का जमीन पर क्या हाल है जनता जानती है। तंज कसा कि केवल नाम अच्छा होने से जमीन पर काम नहीं होते तो सरकार का सीधे जनता के बीच जाने के पीछे क्या है प्लान?
SarkarOnIBC24: छत्तीसगढ़ सरकार के नए अभियान सुशासन तिहार 2025 को लेकर बयानबाजी है। सुशासन तिहार का पहला चरण 8 से 11 अप्रैल के बीच होगा। दावा है कि इस अभियान के जरिए शासन और नागरिकों के बीच सीधा और पारदर्शी संवाद होगा। इसके लिए ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में समाधान पेटियों के जरिए नागरिकों की शिकायतें, सुझाव, मांगों पर ना केवल सीधी बात होगी बल्कि उसका ऑनस्पॉट समाधान तय किया जाएगा। इसे लेकर सभी जिलों में प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी है। दावा है कि प्रत्येक आवेदन का निराकरण संबंधित विभाग को एक महीने के भीतर समाधान देना तय करना होगा। इसके बाद 5 मई से 31 मई तक समाधान शिविर में आवेदकों को आवेदनों की स्थिति बताई जाएगी।
इधर, विपक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि, नाम अच्छा रखने से कुछ नहीं होगा, जमीन पर काम होना जरूरी है, आखिर सरकार किस बात का सुशासन तिहार मनाएगी। सरकार ने किसानों को ठगा है, पेयजल व्यवस्था ठप्प है, मनरेगा का बुरा हाल है। असल में जनता बेहाल है। वैसे ये पहल नई नहीं है। इसके पहले बीजेपी सरकार के वक्त तत्कालीन CM रमन सिंह भी राज्यभर में घूम-घूमकर जनचौपाल लगा चुके हैं। अलग नाम से कांग्रेस सरकार के वक्त भी सरकार के मुखिया ने प्रदेशभर में, जनता से सीधे संवाद के मौके बनाए हैं। दरअसल, इस तरह को मुहिम से सरकार को योजनाओं की जमीनी हकीकत और जन का मन भांपने का मौका मिलता है। बडा सवाल ये है कि इस मुहिम का जनता को कितना वास्तविक लाभ होगा?