बचपन में लापता हुए आमिर को जवानी में आधार कार्ड ने मिलवाया, मुस्लिम बच्चे को हिंदू परिवार ने पाला, देखें दिलचस्प मामला

बचपन में लापता हुए आमिर को जवानी में आधार कार्ड ने मिलवाया, मुस्लिम बच्चे को हिंदू परिवार ने पाला, देखें दिलचस्प मामला

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  • Publish Date - July 14, 2021 / 05:26 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:59 PM IST

जबलपुर ।  बॉलीवुड फिल्मों में आपने देखा होगा कि बचपन में खोए हुए बच्चे के जवान होने पर मां उसके शरीर में बने किसी निशान से पहचान जाती है,और इस तरह फिल्मों में अधूरा परिवार पूरा होता और फ़िल्म की हैप्पी एंडिंग हो जाती है,हालांकि रियल लाइफ में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है लेकिन जबलपुर में ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां 10 साल पहले घर से लापता हुआ एक लड़का आधार कार्ड के जरिए अपने असली परिवार वालों से मिल पाने में सफल हुआ है।

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 धर्म परिवर्तन और हिन्दू मुस्लिम विवाद के कई मामले आपने देखे और सुने होगें,लेकिन इन सब के उलट जबलपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है,जिसने न केवल मजहबी झगड़े के मुंह पर तमाचा मारने का काम किया है,बल्कि भाई चारे की मिसाल भी बन गया है, अमन उर्फ आमिर, जो साल 2011 में महज आठ साल की उम्र में घर से गायब हो गया था,और ट्रेन का सफर तय कर नागपुर जा पहुंचा था। यहां अमन उर्फ आमिर को लावारिश हालत में देख,नागपुर के एक हिन्दू परिवार ने उसे सहारा दिया। मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने वाले जबलपुर से लापता हुए आमिर को नागपुर के हिन्दू धर्म को मानने वाले दामले परिवार ने न केवल कई सालों तक पाला पोसा बल्कि उसकी परवरिश भी अपने बच्चे की तरह की,लेकिन जब कुछ दिनों पहले आमिर को 10 वीं बोर्ड की परीक्षा देनी थी,इसके लिए उसे आधार कार्ड की जरूरत थी,जो उसके पास नहीं था। इस वजह से  दामले परिवार अमन उर्फ आमिर को लेकर आधार कार्ड बनवाने नागपुर के एक यूआईडी सेंटर में लेकर गए, यूआईडी सेंटर में जब अमन के फिंगर प्रिंट लिए गए,तो पता चला कि अमन असल में आमिर है,और वह जबलपुर के हनुमानताल थाना क्षेत्र का रहने वाला है। 

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दरअसल 10 साल पहले अपनों से बिछड़ा आमिर नागपुर रेलवे स्टेशन पर नागपुर पुलिस को भटकते हुए मिला था, जिसे पुलिस नागपुर समर्थ दामले के अनाथालय लेकर गई, इसके बाद करीब 4 साल आमिर ने अनाथालय में बिताए, इसके बाद साल 2015 में अनाथालय बंद हो गया था, जिसके बाद समर्थ दामले आमिर को अपने घर ले गए,और आमिर की अपने परिवार के सदस्य की तरह देखभाल करने लगें, हालांकि मानसिक रूप से बीमार आमिर के लापता होने के बाद से उसके असली पिता अयूब खान के साथ जबलपुर पुलिस ने आमिर को खोजने के लिए जमीन- आसमान एक कर दिया था,पर उसका कुछ पता नहीं चला, लेकिन जब आमिर के मिलने की खबर जबलपुर में उसके परिजनों और हनुमानताल पुलिस को लगी,तब तक आठ साल का बच्चा आमिर,18 साल का वयस्क हो चुका था। 

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10 साल से दामले परिवार आमिर को उसके असली मां-बाप तक पहुंचाने की कोशिश में लगा हुआ था और जैसे ही आमिर के असली मां बाप का पता चला,वैसे ही तमाम कानूनी कार्रवाई कर आमिर को बीते 30 जून को उसके परिवार वालों को नागपुर बुलाकर सौंप दिया।