तो क्या गोविंद और तुलसी सिलावट को छोड़ना होगा मंत्री पद? अगर मध्यप्रदेश में नहीं हुआ उपचुनाव, जानिए क्या कहता है संविधान

तो क्या गोविंद और तुलसी सिलावट को छोड़ना होगा मंत्री पद? अगर मध्यप्रदेश में नहीं हुआ उपचुनाव, जानिए क्या कहता है संविधान

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  • Publish Date - July 26, 2020 / 12:26 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:46 PM IST

भोपाल: कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में हो रही बेतहाशा वृद्धि को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में होने वाले उपचुनाव स्थगित किया जा सकता है। अगर निर्वाचन आयोग ऐसा फैसला लेती है तो असर सिंधिया गुट के दो प्रभावी मंत्रियों, पर पड़ सकता है। यानी गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट के मंत्री पद का कार्यकाल 21 अक्टूबर को स्वत: समाप्त हो जाएगा। दोनों कैबिनेट मंत्रियों के पास भारी-भरकम विभाग हैं। इन मंत्रियों का कार्यकाल भी नहींं बढ़ाया सकता है।

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मध्य प्रदेश में अगर चुनाव टले तो इसका असर सरकार में मंत्रिमंडल में देखने को मिलेगा। चुनाव आयोग के उप चुनाव होल्ड करने के फैसले से राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट के मंत्री पद पर ग्रहण लग सकता है।

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दरअसल संविधान के अनुच्छेद 164 (4) अनुसार कोई मंत्री जो निरंतर 6 माह की अवधि तक राज्य के विधान मंडल का सदस्य नहीं है उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा। इस लिहाज से 21 अक्टूबर को गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कैबिनेट मंत्री के सदस्य नहीं होंगे, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पहले मंत्रिमंडल शपथ के दौरान 21 अप्रैल को इन दोनों को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी। कांग्रेस शुरू से बिना विधायकी के मंत्री बनाने पर सवाल उठा रही है।

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वहीं बीजेपी गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को मंत्री बनाए जाने को लेकर अपनी दलीलों से बचाव कर रही है। छह महीने बाद गैर विधायकोंं को दूसरी बार मंत्री पद की शपथ दिलाने को लेकर संविधान में कुछ भी उल्लेख नहीं है। देश के किसी भी राज्य में गैर विधायकों को 6 महीने बाद फिर से मंत्री पद की शपथ दिलाने को लेकर कोई उदाहरण भी नहीं है। हालांकि गोविन्द राजपूत और सिलावट को त्यागपत्र देने की आवश्यकता नहीं है। 6 महीने का कार्यकाल पूरा होने के साथ ही उनके मंत्री पद का कार्यकाल स्वत: समाप्त हो जाएगा।

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