गुरु रत्नेश्वर धाम में स्थापित है सिद्ध स्फटिक शिवलिंग, मनोकामना लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

गुरु रत्नेश्वर धाम में स्थापित है सिद्ध स्फटिक शिवलिंग, मनोकामना लिए दूर-दूर से पहुंचते हैं श्रद्धालु

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  • Publish Date - August 15, 2020 / 09:43 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:43 PM IST

सिवनी । पुराणों में स्फटिक शिवलिंग को अतिविशिष्ठ स्थान दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि राज्य प्राप्ति के लिए रजत शिवलिंग पूजा…और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए पारद शिवलिंग की आराधना करनी चाहिए लेकिन स्फटिक शिवलिंग के पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

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स्फटिक अपनी पारदर्शिता..ओज और शीतलता के लिए जाना जाता है, इसलिए इसे मणि भी माना जाता है। कहते है कि स्फटिक मणि शिवलिंग उस क्षेत्र तक अपना प्रभाव दिखाता है…जहां तक उससे बड़ा स्फटिक शिवलिंग स्थापित नहीं होता । इस वजह से सिवनी का गुरु रत्नेश्वर धाम अपने आप में एक अलौकिक शिव धाम है ।

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रत्नेश्वर महादेव मंदिर में शिव के जयकारे चारों दिशाएं गुंजायमान रहते हैं। मंदिर में सुबह 5.30 बजे मंगला आरती, श्रृंगार आरती,भोग आरती और करपूर आरती की जाती है। फिर रात 9 बजे शयन आरती होती है। दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक मंदिर के गर्भगृह के कपाट बंद रहते हैं। .सावन महीने में बैनगंगा नदी के उद्गम स्थल मुंडारा से कांवड़ यात्रा शुरू होती है। जहां से कांवड़िए जल लेकर रत्नेश्वर महादेव धाम की यात्रा पर आते हैं…और स्फटिक शिवलिंग में श्रद्धाभाव से जल चढ़ाते हैं।