नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ करते हुए कालातीत हो चुकी बीमा पॉलिसियों के निपटान के बहाने देशभर में लोगों को ठगने वाले 10 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
ठगी में शामिल आरोपी पीड़ितों का विश्वास हासिल करने के लिए कथित तौर पर भारतीय रिजर्व बैंक, दिल्ली उच्च न्यायालय, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई), भारतीय राष्ट्रीय भुगतान (एनपीसीआई) और बीमा लोकपाल के जाली लोगो तथा दस्तावेज का इस्तेमाल करते थे।
द्वारका के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अंकित सिंह ने एक बयान में कहा कि संदिग्ध बैंक खातों में 20 लाख रुपये से अधिक की राशि ‘फ्रीज’ की गई है, जबकि धोखाधड़ी की कुल राशि लगभग एक करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
डीसीपी ने बताया कि ये गिरफ्तारीयां राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर दर्ज शिकायतों के विश्लेषण के बाद की गईं, जिसमें द्वारका के एक बैंक खाते से संदिग्ध नकद निकासी का पता चला।
बैंक में दो लाख रुपये निकालने पहुंचे निशांत चौहान नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया।
अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान निशांत ने खुलासा किया कि उसने और अन्य लोगों ने अपने बैंक खाते गिरोह को उपलब्ध कराए हुए थे ताकि वे धोखाधड़ी की रकम को अंतरित करने के लिए इनका उपयोग कर सकें और इसके बदले उन्हें 1.5 से 10 प्रतिशत तक कमीशन मिलता था।
जांच के बाद गिरोह के कथित सरगना साहिल बेरी को द्वारका से गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने बताया कि बेरी ने बीमा अधिकारी बनकर फोन किए और पीड़ितों को बीमा संबंधी सेवाओं के मकसद से पैसे जमा करने के लिए राजी करवाया।
उन्होंने बताया कि सागरपुर के एक कॉल सेंटर पर छापेमारी के दौरान किशन कुमार, दमन बख्शी, सुमित गोस्वामी और नीरज को गिरफ्तार किया गया, जो कथित तौर पर चोरी किए गए बीमा डेटा का उपयोग करके टेली-कॉलर के रूप में काम करते थे।
इसके बाद छापेमारी में विनय मल्होत्रा और अजय बाजपेयी को गिरफ्तार किया गया, जिन पर कथित तौर पर धोखाधड़ी से प्राप्त धन एकत्र करने और वितरण में समन्वय करने का आरोप है।
भाषा यासिर पवनेश
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