लखनऊ। उत्तरप्रदेश सरकार ने पिछड़े वर्ग की 17 जातियों को अनुसूचित जातियों की लिस्ट में डाल दिया है। इनमें कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिन्द, भर, राजभर जैसी जातियां शामिल हैं। अब के बाद से इन जातियों के लोग अनुसूचित जाति को मिलने वाले लाभ के पात्र बन जाएंगे। इन 17 जातियों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तीनों लाभ मिल सकेंगे।
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अन्य पिछड़ा वर्ग से अनुसूचित जाति में आने वाली इन 17 जातियों को अब पढ़ाई-लिखाई से लेकर शासन और सत्ता तक की यात्रा में लाभ मिलेगा। अनुसूचित जाति में अन्य पिछड़ा वर्ग के मुकाबले काफी कम जातियां हैं और आरक्षण 21 फीसदी है, इसलिए इसका लाभ प्रतिशत सभी को मिल पाने की संभावना बढ़ जाती है। अब के बाद सभी सरकारी संस्थानों में इन 17 जातियों को एससी आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा, जिससे उनका जीवन स्तर सुधारने में मदद मिलेगी।
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बता दें कि अनुसूचित जातियों के छात्रों को ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं में कोई शुल्क नहीं देना पड़ता, जबकि ओबीसी छात्रों से अधिकांश जगहों पर सामान्य के बराबर ही शुल्क वसूला जाता है। स्कूल, कॉलेजों में फीस नाम मात्र की है, स्कॉलरशिप भी मिलती है। केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए देश भर में लगभग 10 हजार डे बोर्डिंग स्कूल बनाए हैं। वहीं संघ लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग और विभिन्न रेलवे भर्ती बोर्डों तथा राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित गुप-ए, बी पदों, बैंकों, बीमा कंपनियों और सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा संचालित अधिकारी ग्रेड की परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग सुविधा मिलती है.
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उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने अपने इस निर्णय के बाद सभी कलेक्टरों को इन जातियों के परिवारों को प्रमाण दिए जाने का आदेश दे दिए हैं। राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम 1994 की धारा 13 के अधीन शक्ति का प्रयोग करके इसमें संशोधन किया है। बता दें कि करीब दो दशक से इन 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग की जा रही है। ये जातियां अति पिछड़ों में शुमार हैं।