भुवनेश्वर, 27 दिसंबर (भाषा) ओडिशा सरकार ने देब्रिगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य में वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए पांच सदस्यीय महिला दल को शामिल किया है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
यह पहला मौका है जब अभ्यारण्य में सुरक्षाबलों के समूह में महिलाओं के एक दल को शामिल किया गया है।
हीराकुड डिवीजन के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) अंशु पग्यान दास ने बताया कि नव नियुक्त कर्मियों में से चार आदिवासी परिवारों से हैं जो वन्यजीव अभ्यारण्य की तलहटी में स्थित गांवों में रहती हैं।
उन्होंने कहा कि बचपन से ही वे अपना समय जंगलों में घूमते-फिरते बिताते आए हैं और उन्होंने अभयारण्य पर बढ़ते मानवीय दबाव, आसपास के गांवों के निवासियों द्वारा अपनी फसलों की रक्षा के लिए बाड़ लगाने के कारण बिजली के झटके से जानवरों के मरने के मामले और साथ ही ओडिशा-छत्तीसगढ़ के बीच वन्यजीवों और उनके अंगों के सीमा पार व्यापार के मामलों को भी करीब से देखा है।
राज्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि अक्टूबर से इन महिलाओं को तीन महीने का शारीरिक प्रशिक्षण दिया गया है।
उन्होंने बताया कि पांच महिला कर्मियों में से दो कुशल तैराक हैं और उन्हें ‘क्रूज डाइविंग’ का भी प्रशिक्षण दिया गया है।
दास ने बताया कि महिलाओं की यह पूरी टीम एक जनवरी से अभयारण्य में काम शुरू करेगी।
इस दस्ते की सदस्य अंजली टॉपनो ने कहा, ‘देब्रिगढ़ सुरक्षा इकाई का हिस्सा बनकर मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं। अब मैं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हूं और अपने परिवार का भरण-पोषण भी कर सकूंगी। सभी लोग मुझ पर गर्व करेंगे क्योंकि मैं देब्रिगढ़ अभयारण्य की रक्षा और इस जंगल को हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने में योगदान दे रही हूं।’
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) पी. के. झा ने बताया कि अभयारण्य में कार्यरत कई अग्रिम पंक्ति की कर्मी महिलाएं हैं, जो वहीं रहती हैं, इसलिए विभाग ने पूरी तरह महिला प्रवर्तन दस्ता गठित करने का फैसला किया।
उन्होंने बताया कि इस पहल से ग्रामीणों को अभयारण्य के संरक्षण के लिए आगे आने की प्रेरणा मिलेगी।
भाषा राखी रंजन
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