असम: गोलाघाट जिले में 1,500 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने का अभियान पांचवें दिन भी जारी

असम: गोलाघाट जिले में 1,500 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण हटाने का अभियान पांचवें दिन भी जारी

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  • Publish Date - August 2, 2025 / 06:04 PM IST,
    Updated On - August 2, 2025 / 06:04 PM IST

गोलाघाट (असम), दो अगस्त (भाषा) गोलाघाट जिले में लगभग 1,500 हेक्टेयर वन भूमि पर कथित अतिक्रमण को हटाने के लिए बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा बेदखली अभियान बुधवार को लगातार पांचवें दिन भी जारी रहा। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि बेदखली अभियान पूरा होने पर लगभग 1,500 परिवार विस्थापित हो जाएंगे, जिनमें से अधिकतर मुस्लिम समुदाय से हैं।

मंगलवार को सरूपथार उपसंभाग में असम-नागालैंड सीमा पर उरियमघाट में रेंगमा आरक्षित वन में कथित अतिक्रमण की गयी भूमि को खाली करने के लिए कवायद शुरू हुई।

हालांकि, सरकार ने दावा किया है कि इस क्षेत्र पर अतिक्रमण किया गया था, वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वीकार किया कि वहां प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत मकान, जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत पानी का कनेक्शन, सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) के तहत सरकारी स्कूल, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत एक उप-स्वास्थ्य केंद्र और लगभग हर घर में बिजली कनेक्शन के अलावा बाजार, मस्जिद, मदरसे और चर्च हैं।

जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘आज सुबह करीब 10 बजे बिद्यापुर और मधुपुर नंबर 2 स्थानों पर बेदखली अभियान शुरू हुआ। अब तक यह अभियान शांतिपूर्ण रहा है।’

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, वन विभाग राजापुखुरी, गेलजान, मधुपुर, राणा नगर, हल्दीबाड़ी और हातिदुबी क्षेत्रों में भूमि का सर्वेक्षण शुरू करेगा।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में शुक्रवार को कहा गया कि बड़े पैमाने पर बेदखली अभियान शनिवार को अपने पांचवें दिन में प्रवेश कर गया। अब तक रेंगमा आरक्षित वन में 8,000 बीघा (लगभग 1,100 हेक्टेयर) से अधिक वन भूमि पर अतिक्रमण हटा दिया गया है।

जिला प्रशासन के अधिकारी ने दावा किया कि लगभग 10,500 बीघा से 11,000 बीघा भूमि पर लोग अतिक्रमण किए हुए हैं।

उन्होंने आगे कहा, ‘उन इलाकों में लगभग 2,000 परिवार रह रहे हैं। इनमें से अवैध रूप से यहां बस गए लगभग 1,500 परिवारों को नोटिस जारी किए गए हैं। बाकी परिवार वनवासी हैं और उनके पास वन अधिकार समिति (एफआरसी) से प्रमाण पत्र हैं।’

अधिकारी ने बताया कि जिन परिवारों के घर तोड़े जा रहे हैं, वे मुस्लिम समुदाय से हैं, जबकि जिनके पास एफआरसी प्रमाण पत्र हैं वे बोडो, नेपाली, मणिपुरी और अन्य समुदायों से हैं।

उन्होंने कहा, ‘जिन परिवारों को नोटिस मिले थे, उनमें से लगभग 80 प्रतिशत ने पिछले कुछ दिनों में अपनी अवैध बस्तियां खाली कर दी हैं। हम केवल उनके घरों को तोड़ रहे हैं।’

इस अभियान का नेतृत्व वन विभाग द्वारा गोलाघाट जिला प्रशासन और असम पुलिस के सक्रिय सहयोग से किया गया तथा इसमें नागालैंड सरकार और नागालैंड पुलिस का भी घनिष्ठ समन्वय था।

‘पीटीआई भाषा’ से बात करते हुए प्रभावित परिवारों ने बेदखली अभियान के औचित्य पर सवाल उठाया और दावा किया कि उन्हें नागालैंड के आक्रमण से क्षेत्र की रक्षा के लिए पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा इस स्थान पर लाया गया था।

भाषा

शुभम दिलीप

दिलीप