राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों के एक किमी के दायरे में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध

राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभयारण्यों के एक किमी के दायरे में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध

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  • Publish Date - November 13, 2025 / 12:36 PM IST,
    Updated On - November 13, 2025 / 12:36 PM IST

नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के एक किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया और कहा कि ऐसी गतिविधियां वन्यजीवों के लिए खतरनाक होंगी।

भारत के प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ झारखंड में सारंडा वन्यजीव अभयारण्य (एसडब्ल्यूएल) और सासंगदाबुरु संरक्षण रिजर्व (एससीआर) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को संरक्षण रिजर्व के रूप में अधिसूचित करने से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

पीठ ने कहा, “इस न्यायालय का लगातार यह मत रहा है कि संरक्षित क्षेत्र के एक किलोमीटर के दायरे में खनन गतिविधियां वन्यजीवों के लिए खतरनाक होंगी। हालांकि गोवा फाउंडेशन के मामले में उक्त निर्देश गोवा राज्य के संबंध में जारी किए गए थे और हमें लगता है कि ऐसे निर्देश पूरे भारत में जारी किए जाने की आवश्यकता है।”

पीठ ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के भीतर व ऐसे राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से एक किलोमीटर के दायरे में खनन की अनुमति नहीं होगी।”

शीर्ष अदालत ने झारखंड सरकार को इस क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने का भी निर्देश दिया।

पीठ ने स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र के आदिवासियों और वनवासियों के अधिकारों की वन अधिकार अधिनियम के अनुसार रक्षा की जानी चाहिए।

न्यायालय ने राज्य सरकार से इस फैसले का व्यापक प्रचार करने को कहा।

इससे पहले, पीठ ने झारखंड सरकार से पारिस्थितिकी की दृष्टि से समृद्ध सारंडा क्षेत्र को आरक्षित वन घोषित करने का निर्णय लेने को कहा था।

भाषा जितेंद्र मनीषा

मनीषा