Uttarakhand Madrasa Board News: भाजपा सरकार का बड़ा फैसला, खत्म होगा मदरसा बोर्ड, इन धर्मों के स्कूलों को भी मिलेगा अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था का दर्जा अल्पसंख्यक होने का लाभ

भाजपा सरकार का बड़ा फैसला, खत्म होगा मदरसा बोर्ड, BJP government's big decision, Madrasa board will be abolished

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  • Publish Date - August 18, 2025 / 03:43 PM IST,
    Updated On - August 20, 2025 / 09:31 PM IST

Uttarakhand Madrasa Board. Image Source- IBC24

देहरादून: Uttarakhand Madrasa Board: उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने रविवार को अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025 को मंजूरी दे दी, जिससे राज्य में सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी समुदायों द्वारा संचालित संस्थानों को भी अल्पसंख्यक दर्जा का लाभ मिलेगा। वर्तमान में, अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय के संस्थानों को ही दिया जाता है। विधेयक 19 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। इसके लागू होने पर उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016 और उत्तराखंड गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम, 2019 निरस्त हो जाएंगे तथा नया विधेयक एक जुलाई, 2026 से प्रभावी होगा।

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Uttarakhand Madrasa Board: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूर किए गए इस विधेयक के तहत, राज्य में मुस्लिम समुदाय के अलावा अन्य अल्पसंख्यक समुदायों – सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी के शिक्षण संस्थानों को भी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा प्राप्त होगा। फिलहाल अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा केवल मुस्लिम समुदाय के शैक्षिक संस्थानों को ही मिलता है। इस विधेयक के अधिनियम बनने एवं इसके लागू होने से मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों में गुरुमुखी और पाली भाषा का अध्ययन भी संभव हो पाएगा। इस विधेयक में एक ऐसे प्राधिकरण के गठन का प्रावधान है जिससे सभी अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थानों को मान्यता लेना अनिवार्य होगा। यह प्राधिकरण इन संस्थानों में शैक्षिक उत्कृष्टता को सुविधाजनक बनाने एवं उसे बढ़ावा देने का कार्य करेगा जिससे अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले और उनका शैक्षणिक विकास हो सके। विधेयक के तहत प्राधिकरण द्वारा अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान की मान्यता तभी प्रदान की जायेगी जब आवेदक कुछ शर्तों को पूरा करेंगे। किसी शर्त का उल्लघंन होने या शुल्क, दान, अनुदान अथवा किसी अन्य वित्त पोषण स्रोत से प्राप्त धनराशि का दुरुपयोग पाये जाने पर उस संस्थान की मान्यता समाप्त भी की जा सकती है।

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प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि इन संस्थानों में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा बोर्ड द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार शिक्षा दी जाए और विद्यार्थियों का मूल्यांकन निष्पक्ष एवं पारदर्शी हो।लागू होने के बाद यह देश का पहला ऐसा अधिनियम होगा जिसका उद्देश्य राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा स्थापित शैक्षिक संस्थानों को मान्यता प्रदान करने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करने के साथ ही शिक्षा में गुणवत्ता और उत्कृष्टता सुनिश्चित करना है। नया अधिनियम बनने के बाद उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016 तथा उत्तराखंड गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम, 2019 को एक जुलाई, 2026 से निरस्त कर दिया जाएगा। उधर, उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘इससे आने वाले समय में सभी समुदायों विशेषकर मुस्लिम समुदाय को बहुत फायदा होगा। उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इससे धार्मिक शिक्षा पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वह जारी रखी जाएगी।

यह विधेयक किन समुदायों को लाभ देगा?

मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी – सभी अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान इससे लाभान्वित होंगे।

क्या धार्मिक शिक्षा पर इसका असर पड़ेगा?

नहीं, धार्मिक शिक्षा पूर्व की तरह जारी रहेगी। यह विधेयक केवल अकादमिक गुणवत्ता और मान्यता की प्रक्रिया को सुधारने हेतु है।

इस विधेयक के लागू होने की तारीख क्या है?

यह विधेयक 1 जुलाई, 2026 से प्रभाव में आएगा।

क्या सभी अल्पसंख्यक संस्थानों को प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी?

हां, विधेयक के अनुसार सभी संस्थानों को मान्यता प्राप्त करने के लिए प्राधिकरण से आवेदन करना अनिवार्य होगा।

प्राधिकरण की भूमिका क्या होगी?

यह प्राधिकरण संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने, मानकों का पालन सुनिश्चित करने, और निष्पक्ष मूल्यांकन प्रणाली लागू करने के लिए जिम्मेदार होगा।