पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एकीकृत नीति बनाने में बड़ी बाधा है सीमा विवाद: सरमा

पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एकीकृत नीति बनाने में बड़ी बाधा है सीमा विवाद: सरमा

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  • Publish Date - June 29, 2021 / 01:16 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:57 PM IST

गुवाहाटी, 29 जून (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों के बीच अंतर-राज्य सीमा विवादों का समाधान उनकी सरकार की प्राथमिकता होगी, जो इस क्षेत्र के लिए एकीकृत नीति बनाने में एक बड़ी बाधा है।

सरमा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये साक्षात्कार में कहा कि पूर्वोत्तर का ‘द्वार’ होने के नाते राज्य का विकास इस क्षेत्र से जुड़ा है, लेकिन मौजूदा सीमा विवादों के चलते नीतियों में एकरूपता लाना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि सीमाएं बरकरार रखने को लेकर एक तरह की प्रतिद्वंद्विता है और यह इस क्षेत्र के लिए एकीकृत नीति बनाने में एक बड़ी बाधा के तौर पर पेश आती है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ”क्षेत्र के विकास में एक लंबा रास्ता तय करने के लिये हमारे सिस्टर स्टेट (पूर्वोत्तर के राज्यों) के बीच सीमा विवादों को हल करना और पर्यटन, बुनियादी ढांचे के विकास तथा कनेक्टिविटी जैसे विभिन्न नीतिगत दृष्टिकोणों में एकरूपता लाना मेरी सरकार के महत्वपूर्ण उद्देश्यों में से है।”

असम का नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के साथ सीमा विवाद रहा है और इन सभी राज्यों में उन दलों की सरकारे हैं, जो नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) का हिस्सा हैं। सरमा नेडा के संयोजक है। नेडा इस क्षेत्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का संस्करण है।

सरमा से जब यह पूछा गया कि क्या नेडा संयोजक होने से सीमा विवाद को सुलझाने का काम आसान या मुश्किल हो जाता है तो उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री के रूप में, ”मुझे अपने राज्य के हितों की रक्षा करनी है और ऐसा करने में कुछ प्रतिक्रियाएं निश्चित रूप से होंगी। अन्य राज्यों में भी यह मुद्दा असीम भावनाओं से जुड़ा है।”

उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री के नाते सीमा विवाद वाले राज्यों के साथ काम करने में कुछ समस्याएं हैं, लेकिन साथ ही यह सहायक भी हो सकती हैं।

सरमा ने कहा, ”यह सहायक भी हो सकती है क्योंकि हमने अन्य राज्यों में अपने सहयोगियों के साथ समय रहते संबंध स्थापित किये हैं, जिसका उपयोग इन मुद्दों को हल करने के लिए किया जा सकता है …. इसलिए, मुश्किलें और आसानी दोनों हैं।”

भाषा जोहेब माधव

माधव