शासन में निरंतरता का अद्वितीय प्रमाण है ब्रह्मोस: रमेश

शासन में निरंतरता का अद्वितीय प्रमाण है ब्रह्मोस: रमेश

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  • Publish Date - May 12, 2025 / 05:16 PM IST,
    Updated On - May 12, 2025 / 05:16 PM IST

नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि ब्रह्मोस मिसाइल शासन में निरंतरता का एक ऐसा अद्वितीय प्रमाण है, जिसे सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा मिटाने की कोशिशों के बावजूद नकारा नहीं जा सकता।

उन्होंने इस बात का उल्लेख भी किया कि ब्रह्मोस मिसाइल को 2005 में भारतीय नौसेना और 2007 में थलसेना में शामिल किया गया।

रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ब्रह्मोस इन दिनों काफी चर्चा में है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नामों को मिलाकर रखा गया है। यह भारत-रूस सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह शासन में निरंतरता का एक और अद्वितीय प्रमाण भी है-जिसे नकारा नहीं जा सकता, भले ही आज दिल्ली की सत्ता प्रतिष्ठान इसे मिटा देने की लगातार कोशिश करे।’’

उनका कहना था कि भारत का एकीकृत प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम 1983 में शुरू हुआ था, और इसने कई महत्वपूर्ण सफलताएं हासिल कीं।

कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘1990 के दशक के मध्य में, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और उनके सहयोगियों जैसे डॉ. शिवथानु पिल्लई ने रूस के साथ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के लिए साझेदारी की आवश्यकता महसूस की। इसके परिणामस्वरूप 12 फरवरी 1998 को एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जब इंदर कुमार गुजराल भारत के प्रधानमंत्री थे। गौरतलब है कि वह 1976-80 के बीच सोवियत संघ में भारत के राजदूत भी रह चुके थे।’’

उन्होंने कहा कि इसके बाद पहला औपचारिक अनुबंध नौ जुलाई 1999 को हुआ और पहला सफल परीक्षण 12 जून 2001 को हुआ था।

रमेश के अनुसार, ब्रह्मोस मुख्यालय परिसर का उद्घाटन दिसंबर 2004 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा नयी दिल्ली में किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद ब्रह्मोस मिसाइल को 2005 में भारतीय नौसेना और 2007 में भारतीय थलसेना में शामिल किया गया। इसकी वायु-प्रक्षेपणीय (एयर-लॉन्च्ड) संस्करण 2012 में सामने आया। यह सब उस समय हुआ जब डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे। उन्हीं की नेतृत्व में 2005 में ऐतिहासिक भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु समझौता हुआ, जिसने भारत के लिए ‘मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम’ (एमटीसीआर) में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त किया।’’

कांग्रेस नेता का कहना है कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहने के दौरान ही हैदराबाद में ‘ब्रह्मोस इंटीग्रेशन कॉम्प्लेक्स’ और तिरुवनंतपुरम में ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड’ की स्थापना भी हुई।

भाषा हक

हक माधव

माधव

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