बीएसएफ ने 118 पाकिस्तानी अग्रिम चौकियां और उनकी निगरानी प्रणाली को पूरी तरह नष्ट कर दिया: अमित शाह

बीएसएफ ने 118 पाकिस्तानी अग्रिम चौकियां और उनकी निगरानी प्रणाली को पूरी तरह नष्ट कर दिया: अमित शाह

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  • Publish Date - May 30, 2025 / 06:28 PM IST,
    Updated On - May 30, 2025 / 06:28 PM IST

(तस्वीर के साथ)

पुंछ (जम्मू कश्मीर), 30 मई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को गहरी चोट पहुंचाते हुए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान 118 से अधिक पाकिस्तानी अग्रिम चौकियों और उनकी निगरानी प्रणाली को पूरी तरह नष्ट कर दिया।

सुरक्षा स्थिति, अमरनाथ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करने और पाकिस्तानी गोलाबारी के पीड़ितों से बातचीत करने के लिए जम्मू क्षेत्र के अपने दो दिवसीय दौरे के समापन पर केंद्रीय गृह मंत्री ने इस माह के प्रांरभ में पाकिस्तानी आक्रमण का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की सराहना की ।

उन्होंने कहा कि इतने कम समय में इतनी सारी चौकियों को क्षतिग्रस्त या नष्ट करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि दुश्मन के निगरानी नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया जाना बहुत बड़ा झटका है और इसकी भरपाई करने में पाकिस्तान को वर्षों लग जाएंगे।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद जम्मू-कश्मीर की अपनी पहली यात्रा पर आये शाह ने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीएसएफ ने 118 से अधिक पाकिस्तानी चौकियां नष्ट कर दीं।’’

उन्होंने कहा, “जब पाकिस्तान ने हमारी सीमाओं और नागरिक क्षेत्रों पर हमला करके हमारे आतंकवाद विरोधी अभियानों का जवाब दिया, तो यह बीएसएफ के ‘जम्मू फ्रंटियर’ के जवान थे जिन्होंने 118 से अधिक चौकियों को तबाह और क्षतिग्रस्त करके जवाबी कार्रवाई की।”

उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने दुश्मन की पूरी निगरानी प्रणाली को टुकड़े-टुकड़े करके नष्ट कर दिया – एक ऐसी प्रणाली जिसे दोबारा बनाने में उन्हें चार से पांच साल लगेंगे।”

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि बीएसएफ महानिदेशक से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान की संचार प्रणाली और निगरानी उपकरणों को बड़ा नुकसान पहुंचा है, जिससे वह “काफी समय तक पूर्ण सूचना आधारित युद्ध लड़ने में असमर्थ हो जाएगा।”

अपेक्षाकृत शांति के समय में भी बीएसएफ की तत्परता की प्रशंसा करते हुए शाह ने कहा कि उनकी खुफिया जानकारी के कारण सटीक पूर्व-कार्रवाई संभव हो सकी।

उन्होंने कहा, “इससे यह सिद्ध होता है कि शांति काल में भी आप निगहबान बने रहे… आपकी सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर सटीक जवाबी रणनीति पहले से ही तैयार कर ली गई थी। जब अवसर आया, तो आपने उसे सफलतापूर्वक लागू किया।”

इस उपलब्धि को अपार देशभक्ति और बलिदान का प्रतिबिंब बताते हुए शाह ने कहा, “ऐसी बहादुरी तभी सामने आती है जब राष्ट्र के प्रति गौरव हो, दिल में देशभक्ति की भावना हो और सर्वोच्च बलिदान का जुनून हो। तभी ऐसे परिणाम संभव हैं।”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीएसएफ भारत की प्रथम रक्षा पंक्ति के रूप में कार्य कर रही है तथा रेगिस्तान, पहाड़ों, जंगलों और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में अटूट समर्पण के साथ मुस्तैद है।

शाह ने कहा, “जब भी भारत की सीमाओं पर किसी भी तरह का हमला होता है – संगठित या असंगठित, गुप्त या प्रत्यक्ष – सबसे पहले इसका खामियाजा हमारे बीएसएफ जवानों को भुगतना पड़ता है। लेकिन वे यह सोचने के लिये कभी रुकते नहीं कि सीमा कहां है।”

खराब मौसम के बावजूद पुंछ की अपनी यात्रा के बारे में शाह ने कहा कि उन्होंने जवानों से व्यक्तिगत रूप से भेंट करने का ठान लिया था। उन्होंने कहा, “मैं पुंछ में गुरुद्वारों, मंदिरों, मस्जिदों और नागरिक आबादी को हुए नुकसान को देखने और लोगों का दुख साझा करने आया हूं।”

उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया कि मौसम ठीक नहीं है। फिर भी मैंने तय किया कि मैं सड़क मार्ग से जाऊंगा और सीमा पर तैनात जवानों से मिलकर ही लौटूंगा। भगवान की कृपा रही कि मौसम साफ हो गया और मुझे आपसे मिलने का मौका मिला।”

केंद्रीय गृह मंत्री ने सरकार और देश के नागरिकों की ओर से बीएसएफ जवानों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “बीएसएफ की भी उतनी ही जय-जयकार हो रही है जितनी सेना की और यह हम सभी के लिए बहुत गर्व की बात है।”

शाह ने दोहराया कि बीएसएफ जवानों की वीरता और बलिदान की राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा की जा रही है और यह सुरक्षा के प्रति भारत के दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।

भाषा

राजकुमार नरेश

नरेश