2025 में राहत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचे सितारे, राजनेता और कॉरपोरेट दिग्गज

2025 में राहत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचे सितारे, राजनेता और कॉरपोरेट दिग्गज

  •  
  • Publish Date - December 31, 2025 / 11:37 AM IST,
    Updated On - December 31, 2025 / 11:37 AM IST

नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय में वर्ष 2025 के दौरान बॉलीवुड के कई सितारे, वरिष्ठ राजनेता और बड़े कॉरपोरेट समूह हाई-प्रोफाइल कानूनी विवादों में राहत की मांग को लेकर पहुंचे। इन मामलों में व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा से लेकर संवैधानिक अधिकारों तक के मुद्दे शामिल रहे।

चौदह मार्च को उस समय पूरी न्यायपालिका में हलचल मच गई, जब दिल्ली उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से जले हुए बड़े मूल्य के नोटों के बंडल बरामद होने की खबर सामने आई। न्यायमूर्ति वर्मा वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बिना न्यायिक कार्य के तैनात हैं और उनके खिलाफ संभावित महाभियोग प्रस्ताव से पहले संसदीय जांच चल रही है।

फरवरी 2020 के दंगों के ‘बड़ी साजिश’ मामले में उमर खालिद और शरजील इमाम समेत 10 आरोपियों को जमानत देने से इनकार करने तथा नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराए गए निष्कासित भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने के फैसले को लेकर भी उच्च न्यायालय चर्चा में रहा। हालांकि, सेंगर की सजा निलंबन के आदेश पर जन आक्रोश के बीच उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी।

अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन, उनके पति अभिषेक बच्चन, सास जया बच्चन, सलमान खान, ऋतिक रोशन, आर. माधवन, अजय देवगन, फिल्मकार करण जौहर, गायक कुमार सानू, तेलुगु अभिनेता अक्किनेनी नागार्जुन, ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के संस्थापक श्री श्री रविशंकर, पत्रकार सुधीर चौधरी और पॉडकास्टर राज शमानी सहित कई प्रमुख हस्तियों ने अपने व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया। अदालत ने उन्हें अंतरिम राहत प्रदान की।

इस सूची में तेलुगु अभिनेता एनटीआर जूनियर, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण और पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर भी शामिल रहे, जिन्होंने अपने नाम, छवि, समानता, व्यक्तित्व और आवाज के अनधिकृत उपयोग पर रोक लगाने का अनुरोध किया।

अभिनेत्री करिश्मा कपूर के दो बच्चों ने अपने दिवंगत पिता संजय कपूर की कथित वसीयत की प्रामाणिकता को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। बच्चों ने संजय कपूर की पत्नी प्रिया कपूर पर ‘लालची’ होने का आरोप लगाते हुए उन्हें ‘सिंड्रेला की सौतेली मां’ तक बताया। वहीं, प्रिया कपूर ने खुद का और पति की वसीयत का बचाव करते हुए अदालत को बताया कि करिश्मा कपूर के बच्चों को पारिवारिक ट्रस्ट से पहले ही 1,900 करोड़ रुपये मिल चुके हैं, जबकि वे कथित तौर पर 30,000 करोड़ रुपये की संपत्ति में हिस्सेदारी मांग रहे हैं।

वर्ष के दौरान ‘धुरंधर’, ‘उदयपुर फाइल्स’ और ‘2020 दिल्ली’ जैसी फिल्मों तथा ओटीटी प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज की रिलीज को लेकर भी याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें अदालत ने कहीं हस्तक्षेप से इनकार किया तो कहीं आंशिक राहत दी।

उच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्नातक डिग्री और भाजपा नेता स्मृति ईरानी की कक्षा 10 व 12 की शैक्षणिक जानकारी के खुलासे के निर्देश देने वाले केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेशों को भी रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि सार्वजनिक पद पर होने मात्र से किसी की सभी ‘व्यक्तिगत जानकारियां’ सार्वजनिक करने योग्य नहीं हो जातीं। इस आदेश के खिलाफ अपील फिलहाल खंडपीठ के समक्ष लंबित है।

साल के अंत में, उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य को प्रवर्तन निदेशालय की उस याचिका पर जवाब देने को कहा, जिसमें नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार करने वाले निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है।

तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा और साकेत गोखले, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और आतिशी तथा जम्मू-कश्मीर के सांसद शेख अब्दुल रशीद जैसे कई अन्य राजनेता भी अपने-अपने मामलों में उच्च न्यायालय पहुंचे।

छात्र राजनीति से जुड़े मामलों में अदालत ने चुनाव प्रचार के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने तथा धन-बल और बाहुबल के प्रदर्शन को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के उम्मीदवारों और अधिकारियों को फटकार लगाई। अदालत ने छात्रों की आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए प्रभावी रैगिंग रोधी हेल्पलाइन की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।

2016 में कानून के छात्र सुशांत रोहिल्ला की आत्महत्या से जुड़े मामले में, उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि न्यूनतम उपस्थिति के अभाव में किसी भी कानून कॉलेज या विश्वविद्यालय को छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोकने का अधिकार नहीं होगा और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को अनिवार्य उपस्थिति मानकों की पुनः समीक्षा करने को कहा।

अदालत ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की उस याचिका पर सुनवाई करने पर भी सहमति जताई, जिसमें केंद्र द्वारा लगाए गए पांच साल के प्रतिबंध को बरकरार रखने वाले न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती दी गई है। वहीं, आतंकी फंडिंग मामलों के कई आरोपियों को राहत नहीं मिली।

कॉरपोरेट जगत से एप्पल इंक, इंडिगो और स्पाइसजेट जैसे नाम भी उच्च न्यायालय में अपने कानूनी विवादों को लेकर पहुंचे। एप्पल ने प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के ऑडिटेड वित्तीय विवरण देने के निर्देश को चुनौती दी, जबकि इंडिगो ने विदेश में मरम्मत के बाद भारत में पुनः आयात किए गए विमान इंजनों और पुर्जों पर अदा किए गए 900 करोड़ रुपये से अधिक के सीमा शुल्क की वापसी मांगी।

इंडिगो के खिलाफ नवंबर-दिसंबर में सैकड़ों उड़ानों के रद्द होने को लेकर यात्रियों को मुआवजा देने की मांग करते हुए जनहित याचिकाएं भी दायर की गईं।

स्पाइसजेट से जुड़े मामले में, उच्च न्यायालय ने मीडिया कारोबारी कलानिधि मारन की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने एयरलाइन और उसके प्रमोटर अजय सिंह के साथ विवाद में एकल न्यायाधीश के आदेश के एक हिस्से को चुनौती दी थी।

होटल और रेस्तरां उद्योग को झटका देते हुए, उच्च न्यायालय ने सेवा शुल्क को अनिवार्य रूप से वसूलने पर रोक लगाने वाले केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के दिशा-निर्देशों के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दीं और इसे जनहित के खिलाफ तथा अनुचित व्यापार व्यवहार बताया।

कोविड-19 से जुड़े कई मामलों का भी 2025 में निपटारा हुआ। अदालत ने महामारी के दौरान कथित रूप से कोविड दवाओं के अवैध भंडारण और वितरण के मामले में भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर, उनके फाउंडेशन और अन्य के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद्द कर दिया। इसके अलावा, मार्च 2020 में तबलीगी जमात के विदेशी प्रतिभागियों को शरण देने के आरोप में 70 भारतीय नागरिकों के खिलाफ दर्ज 16 मामलों को भी खारिज कर दिया गया।

वर्ष के दौरान उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नई नियुक्तियां, तबादले, सेवानिवृत्तियां और पदोन्नतियां भी हुईं, जिससे अदालत की वर्तमान संख्या 60 के स्वीकृत बल के मुकाबले 44 हो गई।

भाषा मनीषा शोभना

शोभना