नयी दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से उस याचिका पर शुक्रवार को जवाब तलब किया, जिसमें ‘ट्रांसफॉर्मर्स वन’ और ‘देवरा’ जैसी फिल्मों या हाल में रिलीज हुई किसी अन्य फिल्म में दिव्यांगों की सुविधा का ख्याल नहीं रखे जाने को लेकर प्रमाणन रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, वायकॉम18 स्टूडियो, युवासुधा आर्ट्स एलएलपी और एनटीआर आर्ट्स एलएलपी को दो दृष्टिबाधित व्यक्तियों की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच दिसंबर की तारीख तय की।
याचिकाकर्ता मिथिलेश कुमार यादव और सुमन भोकरे ने याचिका में दावा किया है कि दो फिल्मों ‘‘देवरा: भाग 1’’ और ‘‘ट्रांसफॉर्मर्स वन’’ में श्रवण और दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए जरूरी सीसी (क्लोज्ड कैप्शनिंग)/ओसी (ओपन कैप्शनिंग) और एडी (ऑडियो डिस्क्रिप्शन) जैसी सुविधाएं मौजूद नहीं है, जो केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के विपरीत है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने कहा कि 15 मार्च, 2024 को सभी बहुभाषी फिल्मों में सीसी/ओसी और एडी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे, जिन्हें 14 सितंबर तक पूरा किया जाना था, और इस तरह छह महीने की समय-सीमा समाप्त हो गई है।
याचिका में कहा गया है कि जब याचिकाकर्ता इन दोनों फिल्मों को सिनेमा हॉल में देखने गए, तो उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ा, क्योंकि वे फिल्मों की विषय-वस्तु को समझ नहीं पाए, क्योंकि उन फिल्मों में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं।
वायकॉम18 स्टूडियो द्वारा निर्मित ‘ट्रांसफॉर्मर्स वन’ 20 सितंबर को रिलीज हुई, जबकि युवासुधा आर्ट्स एलएलपी एवं एनटीआर आर्ट्स एलएलपी द्वारा निर्मित ‘‘देवरा: पार्ट-एक’’ 27 सितंबर को रिलीज हुई।
याचिकाकर्ताओं ने दिशानिर्देशों के गैर-कार्यान्वयन के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की और वे यह जानकर हैरान रह गए कि सीबीएफसी दिशानिर्देशों का पालन किए बिना बहुभाषी फिल्मों को प्रमाणित कर रहा है, जिससे दृष्टिबाधित और श्रवणबाधित व्यक्तियों को असुविधा हो रही है।
भाषा सुरेश अविनाश
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