जयपुर, 21 जनवरी (भाषा) राजस्थान के अजमेर शहर की एक अदालत ने अजमेर दरगाह के मुख्य द्वार पर कथित रूप से भड़काऊ भाषण दिए जाने के मामले में शनिवार को एक खादिम (मौलवी) सहित सात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।
पुलिस ने इन सात आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था जिस पर बहस के बाद आरोप तय किए गए।
लोक अभियोजक गुलाम नजमी फारूकी ने बताया कि दरगाह के एक खादिम (मौलवी) गौहर चिश्ती समेत सात आरोपियों ने पिछले साल 17 जून को अजमेर दरगाह के मुख्य द्वार जिसे निजाम गेट कहा जाता है, वहां भड़काऊ नारेबाजी की थी।। इनके खिलाफ दरगाह थाने में मामला दर्ज किया गया था।
बचाव पक्ष के वकील ने आरोपी के खिलाफ धारा 115 नहीं लगाने की गुहार लगाई थी। लोक अभियोजक की ओर से तर्क दिया गया कि अभियुक्तों द्वारा द्वेषपूर्ण भाषण दिया गया है जिसके कारण उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड हुआ। उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की दो लोगों रियाज अख्तरी और गौस मोहम्मद ने उसकी दुकान पर 28 जून को निर्मम हत्या कर दी थी।
मामले के अनुसार, दरगाह के एक खादिम (मौलवी) गौहर चिश्ती ने अजमेर दरगाह के मुख्य द्वार जिसे निजाम गेट कहा जाता है वहां 17 जून को मुस्लिम समुदाय की एक रैली से पहले भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के खिलाफ पुलिस की मौजूदगी में भड़काऊ भाषण दिया था। उन्होंने कथित तौर पर विवादास्पद नारे लगाये थे और अभद्र भाषा के वीडियो और ऑडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किए थे।
दरगाह पुलिस थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार, गौर ने धार्मिक स्थल से लाउडस्पीकर का उपयोग कर ‘‘गुस्ताखी ए नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा’’ के नारे लगाकर लोगों को उकसाया।
फारूकी ने बताया कि आरोपी गौहर चिश्ती को पुलिस ने हैदराबाद से 14 जुलाई को गिरफ्तार किया था। वहीं इस मामले में पुलिस ने ताजिम सिद्दीकी रियाज हसन, फखर जमाली और मोइन खान पर भड़काऊ भाषण के लिए भादंसं की धारा 302/511, 506, 504, 188, 149, 143 और 147 के तहत आरोप तय किए हैं। वहीं नासिर खान और अहसान उल्ला के खिलाफ भादंसं की धारा 506, 504, 188, 149, 143 और 147 के तहत आरोप तय हुए। अनुसंधान अधिकारी की ओर से पेश आरोप पत्र के आधार पर न्यायाधीश ने यह आरोप लगाए।
भाषा पृथ्वी अर्पणा
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