Chief Justice lashed out at the media, told the media trial to the Kangaroo

मीडिया पर बरसे मुख्य न्यायाधीश, मीडिया ट्रायल को बताया कंगारू कोर्ट

Chief Justice lashed out at the media : मीडिया को लेकर कई तरह के सवाल समय समय पर उठते रहते हैं। वहीं अब चीफ जस्टिस एनवी रमना का एक बयान वायरल हो रहा है

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:40 PM IST, Published Date : July 23, 2022/7:01 pm IST

नई दिल्ली : Chief Justice lashed out at the media : मीडिया को लेकर कई तरह के सवाल समय समय पर उठते रहते हैं। वहीं अब चीफ जस्टिस एनवी रमना का एक बयान वायरल हो रहा है जिसमें वह मीडिया की कार्यप्रणाली को लेकर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने किसी भी मामले के मीडिया ट्रायल पर कड़े सवाल उठाए । रमना ने कहा कि मीडिया कंगारू कोर्ट लगा लेता है। ऐसे में अनुभवी जजों को भी फैसला लेने में मुश्किल आती है। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया में अभी भी जवाबदेही है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जिम्मेदारी नहीं दिखती है।

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किसी भी केस को लेकर शुरू हो जाता है मीडिया ट्रायल

Chief Justice lashed out at the media : CJI ने आगे कहा कि हम देखते हैं कि किसी भी केस को लेकर मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है। कई बार वरिष्ठ जजों को भी फैसला करना मुश्किल हो जाता है। न्याय देने से जुड़े मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाने वाली बहस लोकतंत्र की सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रही है। अपनी जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर आप हमारे लोकतंत्र को दो कदम पीछे ले जा रहे हैं। अब चीफ जस्टिस के इस बयान को मीडिया में काफ़ी हवा दी जा रही है।

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नेताओ की तरह जजों को भी मिले सुरक्षा

Chief Justice lashed out at the media : वहीं CJI ने कहा कि आजक जजों पर हमले बढ़ रहे हैं। पुलिस और राजनेताओं को तो रिटायरमेंट के बाद भी सुरक्षा दी जाती है, इसी तरह मेरे अनुसार जजों को भी सुरक्षा दी जानी चाहिए। रमना ने तो यहां तक कहा कि वे राजनीति में जाना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इस बात पर उन्होंने अफसोस भी किया हालांकि, जस्टिस रमना ने कहा कि उन्हें जज बनने का भी कोई मलाल नहीं है।

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सामाजिक मुद्दों से आप अलग नहीं हो सकते, मुंह मोड़ना ठीक नहीं होगा

Chief Justice lashed out at the media : CJI ने अपनी बातों में कई मुद्दो का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय की न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक फैसलों के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है। जजों को भी जवाब देते हुए जज सामाजिक सच्चाइयों से आंखें नहीं मूंद सकते। सिस्टम को टालने योग्य संघर्षों और बोझ से बचाने के लिए जज को दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देनी होगी। आपको बता दें देश में कई मामले पेंडिंग पड़े हैं।

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राष्ट्र के 48वें CJI हैं जस्टिस एनवी रमना

Chief Justice lashed out at the media : जस्टिस रमना का जन्म 27 अगस्त, 1957 को कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। जस्टिस एनवी रमना ने 24 अप्रैल 2021 को भारत के 48वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ ली थी। वे बाद में हैदराबाद में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में केंद्र सरकार के वकील और रेलवे के वकील भी रहे हैं। वे आंध्र प्रदेश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रहे हैं।

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