सिटीजनशिप बिल, राज्य की सहमति के बिना नहीं मिलेगी भारतीय नागरिकता

सिटीजनशिप बिल, राज्य की सहमति के बिना नहीं मिलेगी भारतीय नागरिकता

  •  
  • Publish Date - January 22, 2019 / 01:58 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:46 PM IST

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक पारित हो जाने के बाद किसी विदेशी को संबद्ध राज्य सरकारों की सहमति के बिना भारतीय नागरिकता नहीं दी जाएगी। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अशोक प्रसाद ने कहा कि भारतीय नागरिकता के लिए मिले आवेदन की जांच संबंध कमिश्नर या जिलाधिकारी करेंगे और अपनी रिपोर्ट अपनी राज्य सरकार को देंगे।

उन्होंने कहा कि इसके बाद राज्य सरकार को अपनी एजेंसियों से भी छानबीन करानी होगी। तब जाकर किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। बता दें कि नागरिकता अधिनियम, 2019 का पूर्वोत्तर में कई संगठनों और बड़ी संख्या में लोगों ने कड़ा विरोध किया है। यह अधिनियम 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दिए जाने का प्रावधान करता है। इसके लिए शर्त यह है कि संबंधित व्यक्ति कम से कम सात साल से भारत में रहा हो अभी यह समय सीमा 12 साल है।

यह भी पढ़ें : दादा की ख्वाहिश थी पोता घोड़ी पर नहीं ‘हेलीकॉप्टर’ पर चढ़े, मुंगेली के इस बारात की है खूब चर्चा 

गौरतलब कि इससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए दीर्घकालीन वीजा (एलटीवी) का विशेष प्रावधान किया गया था। इस के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के लोगों को यह साबित करना होगा कि वे इन तीनों देशों में से किसी एक के रहने वाले हैं। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह विधेयक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा और इसके लाभार्थी देश में कहीं भी रह सकते हैं।