Clothes were found soaked in soldier's | blood Father is searching son

फौजी के खून से सने मिले थे कपड़े, पिता एक साल बीतने के बाद खोज रहा बेटे की कब्र

प्रादेशिक सेना का सैनिक एक वर्ष से लापता; पिता को बेटे की कब्र मिल जाने की अब भी है आस Territorial Army soldier missing for over a year; Father still hopes to find son's grave

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:07 PM IST, Published Date : August 29, 2021/5:48 pm IST

शोपियां (कश्मीर), 29 अगस्त (भाषा) प्रादेशिक सेना के लिए काम करने वाले शाकिर वागे के बारे में समझा जाता है कि उन्हें आतंकवादियों ने मार डाला एवं उन्हें किसी अज्ञात स्थान पर दफना दिया, लेकिन इस घटना के साल भर बीत जाने के बाद भी उनके पिता को आस है कि वह किसी न किसी दिन अपने बेटे की कब्र ढूंढ लेंगे। शाकिर के परिवार ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां से करीब 15 किलोमीटर दूर अपने गांव में इस माह के प्रारंभ में बेटे की मौत की बरसी मनायी । शाकिर परिवार का भरण-पोषण करने वाले एकमात्र सदस्य थे। उनके पिता 56 वर्षीय मंजूर वागे ने कहा, ‘‘ मेरे पास परिवार की देखभाल करने वाला कोई नहीं है । अब इस उम्र में मुझे रोजी-रोटी की खातिर काम की तलाश में खेतों में भटकना पड़ता है। ’’ शाकिर को दो अगस्त को अगवा कर लिया गया था और समझा जाता है कि उनकी हत्या कर दी गयी। तब से वागे परिवार मुसीबतों से जूझ रहा है। शाकिर के लापता हो जाने के बाद मंजूर का बड़ा बेटा ट्रक डाईवर मुजफ्फर किसी दुर्घटना का शिकार हो गया और विकलांग हो गया था । मंजूर का एक अन्य बेटा शहनवाज स्नातक (व्यावसायिक प्रशासन) में दूसरे सेमेस्टर में पढ़ रहा है।

Read More News: गुजरात विधानसभा के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को भाया छत्तीसगढ़ी परंपरा, चंपारण पहुंचकर महाप्रभु वल्लभाचार्य की आरती में हुए शामिल

मायूस मंजूर को दुख है कि जिला प्रशासन और पुलिस ने शाकिर के शव को ढूंढने में मदद करने की परिवार की गुहार पर कोई ध्यान नहीं दिया जिनके बारे में समझा जाता है कि जिस तरह वह गायब हुए थे, उस दिन आतंकवादियों ने उन्हें मार डाला था।शाकिर जब अपने घर से बीही बाघ में सेना के कैंप जा रहे थे तब आतंकवादियों ने उन्हें अगवा कर लिया। अगली सुबह, उनकी कार जली हुई मिली और बाद में खून से सने उनके कपड़े मिले। वह प्रादेशिक सेना की 162वीं बटालिन में तैनात थे जो सेना की जम्मू कश्मीर लाईट इंफैंट्री से संबद्ध थी।

सेना के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ शुरू में यह माना गया कि वह शायद आतंकवादियों के साथ हो गये लेकिन प्रतिबंधित अल बदर आतंकवादी संगठन के स्वयंभू कमांडर शकूर पार्रे ने शाकिर की हत्या करने का दावा किया।’’ पिछले साल अगस्त में आतंकवाद निरोधक अभियान के दौरान 44 राष्ट्रीय राइफल्स ने अलबद्र के आतंकवादी शोएब का आत्मसमर्पण कराया जिसने जांचकर्ताओं को बताया कि शाकिर की पार्रे ने हत्या कर दी एवं किसी अज्ञात स्थान पर दफना दिया।अधिकारियों ने बताया कि इस बीच सेना ने पिछले एक साल में 27 स्थानों पर खुदाई की और उसने शाकिर को मृत (समझ लेने की बात) घोषित करने के लिए कागजातों पर जरूरी कार्रवाई की ताकि वागे परिवार को कुछ राहत मिले। उन्होंने बताया कि कानूनी रूप से कागजातों पर गुमशुदगी के सात साल बाद ही जरूरी कार्रवाई होती है लेकिन परिवार वित्तीय मुश्किलों से गुजर रहा था इसलिए मानवीय आधार पर जरूरी कार्रवाई की गयी।

Read More News: जिन बेटों को समझा बुढ़ापे का सहारा, बहुओं के साथ मिलकर उन्होंने ही घर से निकाला, थाने पहुंची बुजुर्ग महिला

मंजूर ने कहा, ‘‘ अपने बेटे का अता-पता लगाने के लिए मैंने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। वह मेरे गांव के आसपास है। मैं उसे ढूंढूंगा। मैं भले ही वित्तीय रूप से मजबूत न हूं लेकिन मैं जो कुछ कमाता हूं, मैं उसे सभी संभावित स्थानों पर खुदाई में मजदूरों एवं मशीनों पर खर्च कर देता हूं।’’ मंजूर को सात्वंना देते हुए उनके दोस्त जावेद ने बताया कि इस परिवार को उन स्थानों पर खुदाई के वास्ते जेसीबी मशीन किराये पर लेने के लिए बड़ी राशि लगानी पड़ी जहां शाकिर की कब्र हो सकती है। जावेद ने कहा, ‘‘ कुछ सुराग मिलीं लेकिन ज्यादातर बदमाशों की परिवार को उल्लू बनाने की करतूत थी। फिर भी, कुछ सूचना तो थी जहां हमें शाकिर के कपड़े एवं कार मिल पायीं। ’’ शहनवाज ने कहा कि उसके पिता ‘‘रात में बेटे के लिए बिलखते हुए जग जाते हैं। आखिरकार, भाई उनके बुढ़ापे की उम्मीद था। अब मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास कर रहा हूं।’’ यह परिवार निहामा समेत आसपास के सभी गांवों में शव की तलाश कर चुका है। निहामा में ही शाकिर की जली हुई कार मिली थी।