बेंगलुरु, 24 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने बुधवार को कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का फैसला अंतिम है।
राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार में सत्ता संघर्ष के बीच परमेश्वर से सवाल किया गया कि क्या कांग्रेस की कर्नाटक इकाई में जारी घटनाक्रम से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे नाराज हैं। इसके जवाब में परमेश्वर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘वह (खरगे) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं, यानी वह हमारे आलाकमान हैं। उनके साथ नेतृत्व में राहुल गांधी और सोनिया गांधी हैं। वे जो भी निर्णय लेते हैं, वही अंतिम होता है। मेरा मानना है कि उन्होंने जो भी कहा है, वह इस मंशा से कहा है कि कोई भ्रम नहीं रहे।’’
दरअसल खरगे ने हाल में कहा था कि पार्टी की कर्नाटक इकाई में नेतृत्व के मुद्दे पर भ्रम केवल स्थानीय स्तर पर है, शीर्ष नेतृत्व में नहीं।
राज्य में सत्तारूढ़ दल के भीतर संघर्ष 20 नवंबर को कांग्रेस सरकार के पांच साल के कार्यकाल की आधी अवधि पूरी होने के बाद तेज हो गया है। सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच 2023 में कथित ‘‘सत्ता-साझेदारी’’ समझौते से इस अटकल को बल मिला।
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक के. एन. राजन्ना के राहुल गांधी को लिखे पत्र के बारे में पूछे जाने पर परमेश्वर ने कहा कि उन्होंने वह पत्र नहीं देखा है और वह उसे देखने के बाद ही प्रतिक्रिया दे पाएंगे।
पूर्व मंत्री ने मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा हाल में की गई टिप्पणियों का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया कि अब स्थानीय नेताओं पर यह जिम्मेदारी है कि वे अपने बीच के आंतरिक मतभेदों को सुलझाएं।
राजन्ना ने कहा, ‘‘मीडिया लगातार मुख्यमंत्री परिवर्तन की नई समयसीमाओं की खबरें दे रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री या मंत्री का परिवर्तन अंततः आलाकमान के निर्णय पर निर्भर करता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि शीर्ष नेतृत्व क्या निर्णय लेता है और वे क्या करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘खरगे की बातों को सुनने के बाद मुझे संदेह है कि आलाकमान इस मामले में हस्तक्षेप करेगा या नहीं। खरगे ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह भ्रम राज्य स्तरीय नेताओं द्वारा पैदा किया गया है और इसे केंद्र पर उंगली उठाने के बजाय स्थानीय स्तर पर हल किया जाना चाहिए।’’
राजन्ना ने पिछले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार दोनों से मुलाकात की थी।
राहुल गांधी को लिखे अपने पत्र के बारे में पूछे गए एक सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए राजन्ना ने कहा, ‘‘यह पत्र लीक नहीं हुआ था, अगर आप पूछते तो मैं आपको (मीडिया को) व्यक्तिगत रूप से दे देता… अगर वोट चोरी के संबंध में मेरा बयान पूरा पढ़ा जाता तो सब कुछ स्पष्ट हो जाता… मैंने कहा था कि इसकी जिम्मेदारी कांग्रेस की भी है, क्योंकि हमारी अपनी पार्टी राज्य में सत्ता में थी और हमारे बूथ स्तरीय एजेंट (बीएलए) ने बूथ स्तर पर मतदाता सूची की ठीक से जांच नहीं की। अगर हर स्तर पर संबंधित नेता सतर्क होते तो वोट चोरी को रोका जा सकता था।
भाषा यासिर माधव
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