नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबंधों में आई ‘‘तेज गिरावट’’ को देखते हुए यह बहुत आश्चर्यजनक नहीं लगता है कि भारत एक सुरक्षित सिलिकॉन आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाली रणनीतिक पहल का हिस्सा नहीं है।
पार्टी ने हालांकि जोर देकर कहा कि ‘‘अगर हम इस समूह का हिस्सा होते तो यह हमारे लिए फायदेमंद होता’’।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत के इस समूह का हिस्सा नहीं होने की खबर तब आई है जब प्रधानमंत्री ने ‘‘अपने कभी अच्छे मित्र रहे तथा अहमदाबाद, ह्यूस्टन और वाशिंगटन डीसी में कई बार गले मिल चुके’’ ट्रंप से हुई फोन कॉल के बारे में सोशल मीडिया पर उत्साह से जानकारी साझा की थी।
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कुछ समाचार रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने उच्च-प्रौद्योगिकी वाली आपूर्ति श्रृंखलाओं पर चीन के नियंत्रण को कम करने के लिए शुरू की गई नौ-राष्ट्रों की पहल से भारत को बाहर रखा है। इस समझौते को ‘पैक्स सिलिका’ कहा जाता है, जो स्पष्ट रूप से ‘पैक्स सिनिका’ का जवाब है। इसमें शामिल राष्ट्र (कम से कम अभी के लिए) अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, ब्रिटेन, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘10 मई, 2025 के बाद से ट्रंप-मोदी संबंधों में आई तीव्र गिरावट को देखते हुए यह शायद आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत को इसमें शामिल नहीं किया गया। अगर हम इस समूह का हिस्सा होते तो निःसंदे यह हमारे लिए फायदेमंद होता।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यह खबर प्रधानमंत्री द्वारा अपने उस पुराने मित्र के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत के बारे में उत्साहपूर्वक (सोशल मीडिया) पोस्ट करने के एक दिन बाद आई है, जिसे वह अहमदाबाद, ह्यूस्टन और वाशिंगटन डीसी में कई बार गले लगा चुके हैं।’’
अमेरिका के नेतृत्व में शुरू की गई यह नयी रणनीतिक पहल विश्वसनीय सहयोगियों के साथ गहन सहयोग पर आधारित है, जिसका उद्देश्य एक सुरक्षित और नवोन्मेष-संचालित सिलिकॉन आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार, ‘पैक्स सिलिका’ नामक इस पहल का उद्देश्य दबावयुक्त निर्भरता को कम करना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के लिए मूलभूत सामग्री और क्षमताओं की रक्षा करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि सहयोगी राष्ट्र बड़े पैमाने पर परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों का विकास और तैनाती कर सकें।
इस पहल में जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, ब्रिटेन, इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। भारत को छोड़कर अन्य सभी क्वाड देश – जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका – इस नयी पहल का हिस्सा हैं।
नयी दिल्ली में 19 से 20 फरवरी को ‘इंडिया-एआई इम्पैक्ट समिट 2026’ का आयोजन होगा जो ‘जन, ग्रह और प्रगति’ के सिद्धांतों पर केंद्रित होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘फ्रांस एआई एक्शन समिट’ में घोषित यह शिखर सम्मेलन ‘ग्लोबल साउथ’ में आयोजित होने वाला पहला वैश्विक एआई शिखर सम्मेलन होगा।
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अल्प विकसित के रूप में जाना जाता है और ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया एवं लातिन अमेरिका में स्थित हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने बृहस्पतिवार को फोन पर हुई बातचीत में द्विपक्षीय आर्थिक साझेदारी में गति बनाए रखने के तरीकों पर चर्चा की जिससे यह संकेत मिल रहे हैं कि दोनों पक्ष बहुप्रतीक्षित व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के करीब पहुंच रहे हैं।
भाषा सुरभि सिम्मी
सिम्मी