अरावली पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का कांग्रेस नेताओं और पर्यावरण विशेषज्ञों ने किया स्वागत

अरावली पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का कांग्रेस नेताओं और पर्यावरण विशेषज्ञों ने किया स्वागत

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  • Publish Date - December 29, 2025 / 05:55 PM IST,
    Updated On - December 29, 2025 / 05:55 PM IST

जयपुर, 29 दिसम्बर (भाषा) राजस्थान के कांग्रेस नेताओं और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा से जुड़े उच्चतम न्यायालय के 20 नवंबर के आदेश पर रोक लगाए जाने के फैसले का सोमवार को स्वागत किया। उन्होंने इसे पिछले एक महीने से इस पर्वतमाला की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे सभी लोगों की जीत करार दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने 20 नवंबर के संबंधित निर्देशों को फिलहाल स्थगित कर दिया है, जिसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक समिति द्वारा सुझाई गई अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की एक समान परिभाषा को स्वीकार किया गया था। शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे की समीक्षा के लिए संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञों की एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का प्रस्ताव भी रखा है।

समिति ने सिफारिश की थी कि नामित अरावली जिलों में भूतल से कम से कम 100 मीटर अधिक ऊंचाई वाले किसी भी भू-आकृतिक क्षेत्र को ‘अरावली पहाड़ी’ माना जाए। वहीं, एक-दूसरे से 500 मीटर की दूरी के भीतर स्थित ऐसी दो या अधिक पहाड़ियों के समूह को ‘अरावली पर्वतमाला’ के रूप में परिभाषित किया जाए।

कांग्रेस नेताओं और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस नई परिभाषा का विरोध किया था। उनका कहना था कि इससे पहाड़ियों को खनन, रियल एस्टेट और अन्य परियोजनाओं के लिए खोल दिया जाएगा, जिससे अरावली की पहाड़ियों का विनाश होगा।

शीर्ष अदालत के नये निर्देश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे क्षेत्र की पर्यावरणीय अखंडता बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।

गहलोत ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है। वर्तमान पर्यावरणीय चुनौतियों को देखते हुए, अरावली क्षेत्र के भविष्य की योजना लंबी अवधि के दृष्टिकोण के साथ बनाना आवश्यक है, जिसमें अगले सौ साल को ध्यान में रखा जाए।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने पर्यावरण मंत्री से अरावली क्षेत्र में खनन बढ़ाने की योजनाओं पर रोक लगाने और पर्यावरणीय चिंताओं को प्राथमिकता देने की अपील की।

उन्होंने कहा, ‘‘सरिस्का सहित अरावली क्षेत्र में खनन बढ़ाने का विचार भविष्य के लिए खतरनाक है।’’

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने उच्चतम न्यायालय के आदेश को जनता की बड़ी जीत बताया। उन्होंने कहा, ‘‘यह उन सभी की जीत है जो पिछले एक महीने से अरावली की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’’

उन्होंने उम्मीद जताई कि न्यायालय जल्द ही अरावली के दीर्घकालिक संरक्षण को सुनिश्चित करने वाला ऐतिहासिक फैसला देगा।

‘अरावली विरासत जन अभियान’ के कार्यकर्ताओं ने भी शीर्ष अदालत के निर्णय पर संतोष व्यक्त किया।

कार्यकर्ताओं ने एक बयान में कहा, “यह आदेश हमारी मुहिम में एक अहम पड़ाव है। हम अरावली की इस धरोहर की रक्षा के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे।”

भाषा बाकोलिया सुरेश

सुरेश