Congress president election: फिर गांधी परिवार से होगा कांग्रेस अध्यक्ष! जयराम रमेश ने कही ये बात

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव: रमेश ने सहमति बनाने की पैरवी की, गांधी परिवार के महत्व पर जोर दिया

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  • Publish Date - September 14, 2022 / 03:58 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:12 PM IST

Congress president election: तिरुवनंतपुरम , 14 सितंबर । कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया आरंभ होने से कुछ दिनों पहले, बुधवार को कहा कि नया अध्यक्ष चुनने के लिए व्यापक सहमति बनाई जानी चाहिए और किसी भी स्थिति में संगठन से जुड़े मामलों में नेहरू-गांधी परिवार का महत्व बना रहेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस चुनाव में गांधी परिवार से इतर कोई और अध्यक्ष चुना जाता है तो भी सोनिया गांधी वह व्यक्ति होंगी जिनकी ओर हर व्यक्ति उम्मीद से देखेगा और राहुल गांधी पार्टी के वैचारिक केंद्रबिंदु बने रहेंगे।

रमेश ने इस धारणा को भी सिरे से खारिज कर दिया कि किसी अन्य व्यक्ति के अध्यक्ष बनने पर भी राहुल गांधी ‘बैकसीट ड्राइविंग” (पीछे से चलाने) का काम करेंगे।

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी उदार और लोकतांत्रिक व्यक्ति हैं।

रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि आलाकमान के बिना कोई भी पार्टी ”अराजक” हो जाएगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस के कुछ नेताओं की, आलाकमान संस्कृति से जुड़ी दलील को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी व्यवस्था के बिना पार्टी में अराजकता पैदा हो जाएगी।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सहमति बनाने की पैरवी करते हुए रमेश ने दिग्गज कांग्रेस नेता रहे के. कामराज के कथन का उल्लेख किया कि पार्टी के नेतृत्व के लिए हर किसी से बात करें और समुचित सहमति बनाएं।

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के इतिहास में हमने आमातौर पर सहमति के आधार पर चुनाव किया। 1938, 1950, 1997 और 2000 में चुनाव हुए। लेकिन मेरी राय कामराज के विचार की तरह व्यापक सहमति की है। मैं कामराज के विचारों से जुड़ा व्यक्ति हूं।’

कांग्रेस की ओर से घोषित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, 22 सितंबर को पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। 24 सितंबर से नामांकन दाखिल किए जा सकते हैं। यदि एक से अधिक उम्मीदवार हुए तो 17 अक्टूबर को मतदान होगा।

लोकसभा सदस्य शशि थरूर समेत कुछ कांग्रेस नेताओं ने दलील दी है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का लोकतांत्रिक मुकाबला होने से पार्टी में नयी जान आएगी। इस बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा कि अगर सहमति नहीं बन पाती है तो चुनाव होना चाहिए।

राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘चुनाव लड़ने के लिए थरूर जी का स्वागत है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। हम एकमात्र राजनीतिक दल हैं जहां अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होता है।’’

उन्होंने थरूर और संगठनात्मक सुधार के पैरोकार कुछ अन्य नेताओं पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि यह सोच यथार्थ से परे है कि भारत में कांग्रेस या किसी अन्य दल को ब्रिटेन की लेबर और कंजरवेटिव पार्टी की तरह चलना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘यह यथार्थ से परे है। मुझे लगता है कि जो ऐसी बातें करते हैं वे भारत की वास्तविकताओं को नहीं समझते।’’

कांग्रेस में बहुत सारे नेताओं की राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग के बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा कि यह फैसला राहुल गांधी को करना है कि वह अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे या नहीं।

रमेश का कहना है, ‘‘लोग उनसे (राहुल से) पूछ रहे हैं कि आप उम्मीदवार हैं? नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वही लोग फिर पूछेंगे आप उम्मीदवार क्यों नहीं हैं? राहुल जी विचित्र स्थिति में पड़ गए हैं। फैसला उन्हें करना है। मुझे नहीं पता वह क्या करने जा रहे हैं।’’

‘जी 23’ के कुछ नेताओं की ओर से अतीत में ‘आलाकमान संस्कृति’ का प्रश्न उठाए जाने के बारे में रमेश ने कहा, ‘‘क्या आप समझते हैं कि भाजपा में आलाकमान नहीं है? क्या आप समझते हैं कि माकपा में आलाकमान नहीं है? हर पार्टी में आलाकमान है। हर पार्टी में लोगों का एक समूह है जो चर्चा करता है और कई कारकों के आधार पर निर्णय लेता है। आलाकमान के बिना कोई भी पार्टी अराजक हो जाएगी।’’

यह पूछे जाने पर कि अगर नया अध्यक्ष नेहरू-गांधी परिवार से बाहर का व्यक्ति होता है तो फिर कांग्रेस में आलाकमान कौन होगा, उन्होंने कहा कि यह सब काल्पनिक प्रश्न हैं।

साथ ही, रमेश ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि सोनिया और राहुल पार्टी में सम्माननीय बने रहेंगे और लोग उनकी ओर से उम्मीद से देखेंगे।

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