Contract Employees Regularization Latest News: सभी संविदा कर्मचारियों का होगा नियमितीकरण! अब सुप्रीम कोर्ट ने अनियमित कर्मचारियों के हित में सुनाया फैसला, सरकार को दिया ये निर्देश

Contract Employees Regularization Latest News: सभी संविदा कर्मचारियों का होगा नियमितीकरण! अब सुप्रीम कोर्ट ने अनियमित कर्मचारियों के हित में सुनाया फैसला, सरकार को दिया ये निर्देश

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  • Publish Date - August 26, 2025 / 03:03 PM IST,
    Updated On - August 26, 2025 / 03:03 PM IST

Contract Employees Latest News: नियमितीकरण की राह देख रहे संविदा कर्मचारियों के लिए खुला खुशियों का पिटारा / Image Source: IBC24 Customized

HIGHLIGHTS
  • सुप्रीम कोर्ट का फैसला
  • अस्थायी कर्मचारियों को रखने से समानता के अधिकार और उसके संरक्षण के वादे का हनन होता है
  • सभी संविदा कर्मचारियों का होगा नियमितीकरण

नई दिल्ली: Contract Employees Regularization Latest News देशभर में संविदा कर्मचारियों के नियमतीकरण की मांग उठने लगी है। अलग-अलग राज्यों में संविदा कर्मचारी नियमितीकरण सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि कई राज्यों की सरकारों ने संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण किया है, लेकिन लाखों कर्मचारी आज भी नियमितीकरण से वंचित हैं। इन सब के बीच सुप्रीम कोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के लिए अहम फैसला लेते हुए नियमित करने का आदेश दिया है। मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है।

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Contract Employees Regularization Latest News याचिकाकर्ता कर्मचारियों का कहना था कि हम सालों से काम कर रहे हैं, लेकिन हमें नियमित करने से सरकार ने इनकार कर दिया है। इसके अलावा वेतन भी हमें बहुत कम मिल रहा है, जबकि इसी पद के नियमित कर्मचारियों का वेतन कहीं ज्यादा है। बेंच ने कहा कि आउटसोर्सिंग एक ढाल नहीं बन सकती, जिसका इस्तेमाल करते हुए स्थायी कार्यों में लगे कर्मचारियों को उचित वेतन और नौकरी से वंचित रखा जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य (संघ और राज्य सरकारें)कोई प्राइवेट कंपनियों की तरह मार्केट प्लेयर नहीं हैं बल्कि संवैधानिक नियोक्ता हैं।

उन्हें फंड की कमी जैसी बात उन लोगों के लिए नहीं करनी चाहिए, जो सरकार के बुनियादी और जरूरी कामों को अंजाम दे रहे हैं। बेंच ने कहा कि यदि कोई काम लगातार चल रहा है तो फिर संस्थान को उसके संबंध में पद भी निकालने चाहिए और लोगों को नियमित भर्ती देनी चाहिए। दरअसल उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने खुद को नियमित किए जाने की अपील कमिशन से की थी। इस अपील को खारिज कर दिया गया और कहा गया कि फंड की कमी है। इसी के खिलाफ वकील श्रीराम पाराक्कट के माध्यम से इन कर्मचारियों ने शीर्ष अदालत का रुख किया। इस पर बेंच ने सरकारी संस्थानों को नसीहत दी है।

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जस्टिस नाथ ने अपने फैसले में लिखा कि यदि लंबे समय तक चलने वाले नियमित कामों में अस्थायी कर्मचारियों को रखा जाता है तो इससे लोक प्रशासन में भरोसा भी कम होता है। इसके अलावा समानता के अधिकार और उसके संरक्षण के वादे का भी हनन होता है। बेंच ने कहा कि संस्थानों को यह भी बताना चाहिए कि नियमित कामों के लिए भी वे पद मंजूर ना करते हुए क्यों अस्थायी कर्मचारी रख रहे हैं। बेंच ने कहा कि असुरक्षा के दायरे में रहते हुए आखिर कोई कब तक नौकरी कर सकता है। अदालत ने कहा कि एडहॉक व्यवस्था तब चलती है, जब पारदर्शिता की कमी हो जाती है। यह फैसला जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों द्वारा दायर अपील पर सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के लिए क्या फैसला सुनाया है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आउटसोर्सिंग एक ढाल नहीं बन सकती, जिसका इस्तेमाल करते हुए स्थायी कार्यों में लगे कर्मचारियों को उचित वेतन और नौकरी से वंचित रखा जाए।

किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया?

यह फैसला उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों द्वारा दायर अपील पर सुनाया गया था।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से क्या प्रभाव पड़ेगा?

इस फैसले से उन लाखों संविदा कर्मचारियों को उम्मीद मिली है, जो लंबे समय से नियमितीकरण का इंतजार कर रहे हैं।

क्या सरकारें संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण से इनकार कर सकती हैं?

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सरकारें फंड की कमी का बहाना बनाकर नियमित कामों में लगे कर्मचारियों को नियमित करने से इनकार नहीं कर सकतीं।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच में कौन-कौन शामिल थे?

यह फैसला जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने सुनाया।