नयी दिल्ली, तीन सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने 25 हजार रुपये के जुर्माने के साथ एक जनहित याचिका को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया जिसमें नेताजी सुभाष पैलेस में अवैध निर्माण का आरोप लगाया गया था । अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह याचिका ‘ब्लैकमेल’ करने की प्रकृति वाली है न कि जनहित की ।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी एन पटेल एवं न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने यह भी कहा कि इस याचिका में कोई दम नहीं है और याचिकाकर्ता ने निर्माणाधीन इमारत को पार्टी बनाया है न कि इसके मालिक को ।
अदालत ने कहा, ‘अगर कोई विश्वत सूत्र आपको (याचिकाकर्ता) बताता है कि बिना किसी मंजूरी के निर्माण कार्य चल रहा है क्या वह आपको इमारत के मालिक का नाम नहीं बतायेगा । अगर हम भी नोटिस जारी करते हैं तो हम इस बात की आशा नहीं कर सकते हैं कि इमारत इसका जवाब देगी अथवा हमारे समक्ष पेश होगी ।’
पीठ ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि यह जनहित याचिका नहीं है । ऐसा प्रतीत होता है कि यह ब्लैकमेल टाइप की याचिका है जो बिना किसी आधार अथवा जानकारी के दायर की गयी है जिसमें कोई दम नहीं है । इसे 25 हजार रुपये के जुर्माने के साथ खारिज किया जाता है ।’
अदालत ने चार हफ्ते के भीतर जुर्माने की राशि जमा कराने का निर्देश दिया ।
याचिकाकर्ता दिलीप कुमार ने इमारत के दो अतिरिक्त मंजिलों के निर्माण को चुनौती दी थी और अधिकारियों को इसके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था ।
भाषा रंजन रंजन नरेश
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