नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला की उस याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया जिसने पाकिस्तानी अधिकारियों को उसकी बेटी और नवासे को पेश करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया था।
याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि उसकी बेटी और नवासे को असम में उनके मूल स्थान से अगवा कर लिया गया था और बाद में अफगानिस्तान से बिना वैध दस्तावेज़ के पाकिस्तान में प्रवेश के दौरान पाकिस्तानी फौज ने उन्हें हिरासत में ले लिया था।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अदालत का पड़ोसी देश के प्राधिकारियों पर कोई अधिकार नहीं है और उसके समक्ष याचिका भी विचारणीय नहीं है क्योंकि यह उसके अधिकार क्षेत्र के बाहर के मामले को उठाती है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिका यहां इसलिए दायर की गई है क्योंकि केंद्र सरकार दिल्ली से काम करती है और पाकिस्तानी दूतावास भी राष्ट्रीय राजधानी में स्थित है।
पीठ ने कहा, “ यह अदालत पाकिस्तान में अधिकारियों को आपकी बेटी को पेश करने का निर्देश कैसे दे सकती है?… आपको समझना चाहिए कि ये विदेशी नागरिक नहीं हैं (बल्कि विदेशी अधिकारी हैं)। आप पाकिस्तान में अधिकारियों के खिलाफ राहत का दावा कर रही हैं। क्या हमारा पाकिस्तान में कोई क्षेत्रीय अधिकार है?’
पीठ में न्यायमूर्ति तलवंत सिंह भी हैं। इसने याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता को गुवाहाटी उच्च न्यायालय में कानून के अनुसार उचित कार्यवाही शुरू करने की स्वतंत्रता दी, क्योंकि वहां की अदालत के अधिकार क्षेत्र में यह मामला आता है।
याचिकाकर्ता ने अपनी बेटी और नवासे को पेश करने के लिए केंद्र और पाकिस्तानी अधिकारियों के खिलाफ बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
भाषा नोमान माधव
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