माकपा को बंगाल में इस बार कुछ सीट जीतने की उम्मीद

माकपा को बंगाल में इस बार कुछ सीट जीतने की उम्मीद

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  • Publish Date - March 26, 2024 / 10:38 AM IST,
    Updated On - March 26, 2024 / 10:38 AM IST

(अमिताव रॉय)

कोलकाता, 26 मार्च (भाषा) पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीतने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को आगामी लोकसभा चुनाव में राज्य में कुछ सीटें जीतने की उम्मीद है।

पार्टी का कहना है कि नतीजे इस बात पर निर्भर करेंगे कि लोग स्वतंत्र रूप से अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर पाएंगे या नहीं।

दमदम लोकसभा सीट से माकपा प्रत्याशी और पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने दावा किया कि लोगों ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘खोखले’ वादों को देख लिया है।

उन्होंने कहा कि ‘लाल झंडा’ तब होता है जब किसी और को भरोसेमंद नहीं माना जाता है।

चक्रवर्ती ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “ अगर लोग स्वतंत्र रूप से अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे तो नतीजों में भी इसका असर दिखेगा।”

पश्चिम बंगाल में चुनाव संबंधी हिंसा लंबे समय से एक मसला रही है। राज्य में लोकसभा चुनाव सात चरणों में होगा और इसके लिए सबसे अधिक संख्या में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती होगी।

चुनाव की घोषणा से पहले ही विश्वास बहाली के उपाय के तौर पर निर्वाचन आयोग ने केंद्रीय बलों की कई कंपनियों को राज्य में भेजा था।

माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा ने 34 वर्षों तक राज्य पर शासन किया और 2011 में सत्ता से बाहर हो गया। वह 2019 के लोकसभा चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव में राज्य में कोई भी सीट नहीं जीत सका।

माकपा को उम्मीद है कि वह इस बार राज्य में कुछ सीट जीत सकती हैं, क्योंकि 2023 के पंचायत चुनावों और इससे पहले हुए नगरपालिका चुनावों में वाम दल का प्रदर्शन बेहतर था।

साल 2024 के लोकसभा चुनावों की काफी पहले से तैयारी शुरू करने के बाद, माकापा ने पश्चिम बंगाल के हर मुद्दे पर अपनी आवाज़ बुलंद करने की कोशिश की है जिसमें सत्तारूढ़ टीएमसी के नेताओं और उनके सहयोगियों द्वारा संदेशखालि में ग्रामीणों पर कथित अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन से लेकर युवाओं के लिए आजीविका और नौकरियों तक के मुद्दे शामिल हैं।

चक्रवर्ती ने कहा कि जिन लोगों ने लगभग 12 साल पहले टीएमसी पर भरोसा जताया था, वे अब असंतुष्ट हैं।

माकपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 2019 के आम चुनाव और 2021 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का जो वर्ग भाजपा की ओर चला गया था, वह ‍अब वाम दलों की ओर लौट रहा है।

उन्होंने कहा, ‘उन्हें एहसास हो गया है कि टीएमसी और भाजपा एक ही हैं – बस एक सिक्के के दो पहलू हैं।’

भाषा नोमान मनीषा

मनीषा