गिरफ्तारी के 90 दिन बाद भी आरोपपत्र दाखिल न होने के कारण साइबर जालसाज को मिली जमानत

गिरफ्तारी के 90 दिन बाद भी आरोपपत्र दाखिल न होने के कारण साइबर जालसाज को मिली जमानत

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  • Publish Date - May 20, 2025 / 09:58 PM IST,
    Updated On - May 20, 2025 / 09:58 PM IST

नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) विदेशी नागरिकों को ठगने के लिए अवैध कॉल सेंटर संचालित करने वाले एक कथित साइबर अपराधी को यहां की एक विशेष अदालत ने इसलिए जमानत दे दी क्योंकि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) गिरफ्तारी के 90 दिन के भीतर आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सका।

सीबीआई ने साइबर अपराध नेटवर्क संचालित करने के आरोप में 17 फरवरी को पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से राहुल शॉ को उसके परिसर से गिरफ्तार किया था। वह 2021 से जर्मन नागरिकों को कथित तौर पर निशाना बना रहा था।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने जर्मन अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर ‘ऑपरेशन चक्र-5’ के तहत साइबर अपराधियों के खिलाफ छापेमारी की।

सीबीआई ने एक बयान में कहा था, ‘‘2021-2022 के दौरान, आरोपी व्यक्तियों ने तकनीकी सहायता सेवाओं की पेशकश के बहाने पीड़ितों के कंप्यूटर प्रणाली और बैंक खातों तक अनधिकृत तरीके से पहुंच बनाई और जर्मन पीड़ितों को निशाना बनाने की साजिश रची।’’

न्यायिक हिरासत में मौजूद शॉ ने विशेष अदालत से अनुरोध किया कि उसे जमानत पर रिहा किया जाए क्योंकि सीबीआई वैधानिक अवधि के भीतर आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकी।

सीबीआई ने अदालत को बताया कि मामले में आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है क्योंकि जांच अभी लंबित है। एजेंसी ने जमानत याचिका का विरोध नहीं किया।

शॉ को जमानत मंजूर करते हुए विशेष अदालत ने कहा कि मामले में आरोपपत्र दाखिल करने की समय अवधि 90 दिन है, लेकिन ट्रांजिट रिमांड की तारीख से यह अवधि पहले ही समाप्त हो चुकी है।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीतू नागर ने कहा, ‘‘इस अदालत का मानना ​​है कि धारा 167(2) सीआरपीसी के तहत अधिकार (डिफॉल्ट जमानत) एक अपूरणीय मौलिक अधिकार है, इसलिए इसे कम नहीं किया जा सकता और धारा 167(2) सीआरपीसी में निहित प्रावधान का लाभ आरोपी को मिलना चाहिए।’’

भाषा खारी नेत्रपाल

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