दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुपरटेक के अध्यक्ष को धनशोधन मामले में ‘डिफॉल्ट’ जमानत देने से किया इनकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुपरटेक के अध्यक्ष को धनशोधन मामले में ‘डिफॉल्ट’ जमानत देने से किया इनकार

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  • Publish Date - March 8, 2024 / 05:20 PM IST,
    Updated On - March 8, 2024 / 05:20 PM IST

नयी दिल्ली, आठ मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने धनशोधन के एक मामले में निर्माण कारोबार से जुड़ी कंपनी सुपरटेक समूह के अध्यक्ष एवं प्रवर्तक आर. के. अरोड़ा की ‘डिफाल्ट’ जमानत याचिका खारिज कर दी है।

उच्च न्यायालय ने अरोड़ा की इस दलील को खारिज कर दिया कि अभियोजन शिकायत (आरोप-पत्र) दाखिल करने की तारीख तक जांच पूरी नहीं हुई थी, क्योंकि आरोप-पत्र के साथ एफएसएल रिपोर्ट संलग्न नहीं थी और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकायत दर्ज करने के बाद मामले में एक अन्य व्यक्ति को तलब किया था।

न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने पांच मार्च को जारी अपने आदेश में कहा, ‘‘प्रतिवादी (ईडी) ने फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) से विशेषज्ञ की राय प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज पहले ही जमा कर दिए हैं। एफएसएल रिपोर्ट तैयार करना जांच एजेंसी के नियंत्रण में नहीं है, हालांकि वह प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कदम उठा सकती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिवादी का स्पष्ट रुख है कि वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच पूरी हो गई है। किसी अन्य व्यक्ति को केवल समन जारी करने या अतिरिक्त सबूत दाखिल करने के लिए अदालत से अनुमति मांगने से याचिकाकर्ता (अरोड़ा) डिफॉल्ट जमानत के हकदार नहीं हो जाते। मुझे याचिका में कोई दम नजर नहीं आ रहा, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।’’

अरोड़ा ने निचली अदालत के 14 अक्टूबर 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें मामले में डिफॉल्ट जमानत देने से इनकार किया गया था।

अरोड़ा को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत 27 जून 2023 को गिरफ्तार किया गया था। सुपरटेक समूह, उसके निदेशकों और प्रवर्तकों के खिलाफ धनशोधन का मामला दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई प्राथमिकियों से जुड़ा है।

भाषा शोभना सुरेश

सुरेश