नयी दिल्ली, एक मार्च (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुकवार को सेना से राष्ट्रीय राजधानी के दिल्ली छावनी क्षेत्र में ‘सेंट्रल रिज’ के एक हरित हिस्से में पेड़-पौधों की कटाई के आरोपों पर जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति तुषार राव गदेला ने रिज के परिरक्षण एवं संरक्षण की अनुरोध संबंधी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए वहां तैनात सैन्य इकाई के अधिकृत अधिकारी को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और सैन्य प्रशासन को वैसी गतिविधियां बंद करने की सलाह दी जिनसे वनों की कटाई हो।
जब केंद्र सरकार के वकील ने सेना द्वारा पेड़ों की कटाई से इनकार किया तब न्यायमूर्ति गदेला ने सुझाव दिया कि उस क्षेत्र में पेड़ लगाने जैसे सुधारात्मक कदम उठाये जाएं क्योंकि ‘‘ दिल्ली में लगाया गया हर पेड़ सोने से अधिक मूल्यवान है।’’
न्यायमित्रों– गौतम नारायण, प्रभाशय कौर और आदित्य एन प्रसाद ने उच्च न्यायालय से कहा कि वे पिछले महीने उस क्षेत्र में गये थे और उन्होंने पाया था कि बिना उचित अनुमति के करीब 25 एकड़ क्षेत्र में पेड़-पौधे काट दिये गये हैं।
सेना की ओर से पेश होते हुए केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि सेना पहले से मौजूद चाहरदिवारी की मरम्मत और पुनर्निर्माण कर रही है एवं कोई पेड़ नहीं काटा गया।
उन्होंने यह भी कहा कि कमांडिंग अधिकारी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किये जाने के बाद संबंधित वन अधिकारी को जवाब भी भेजा।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ नोट पर कोई आदेश जारी किये जाने से पहले, ऐसा जान पड़ता है कि क्षेत्र में मौजूद सैन्य इकाई को हलफनामा दाखिल कर जवाब देने के लिए कहना उपयुक्त होगा।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘ इस बीच, यह सलाह होगी कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाए जिससे सेंट्रल रिज क्षेत्र में वनों की कटाई हो।’’
उच्च न्यायालय ने वन अधिकारी को सैन्य इकाई को भेजे गये कारण बताओ नोटिस पर एक सप्ताह के अंदर उपयुक्त आदेश दाखिल करने का निर्देश भी दिया। उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार के वकील को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
इस मामले पर अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी।
भाषा
राजकुमार माधव
माधव