नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) यहां की एक अदालत ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा के खिलाफ यहां 2020 में हुए दंगों में उनकी कथित भूमिका की जांच के लिये प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली के कानून मंत्री कपिल मिश्रा के लिये अदालत का यह आदेश एक झटका है।
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने इसे ‘‘प्रथम दृष्टया’’ संज्ञेय अपराध पाया गया, जिसके लिए जांच की आवश्यकता है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि मिश्रा कथित अपराध के समय इलाके में थे… और (मामले में) आगे की जांच की आवश्यकता है।’’
अदालत ने दिल्ली पुलिस को मामले में अगली सुनवाई की तारीख 16 अप्रैल तक ‘‘अनुपालन रिपोर्ट’’ दाखिल करने का निर्देश दिया।
विस्तृत आदेश का इंतजार है।
नागरिकता (संशोधन) कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन के बाद 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 53 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे।
अदालत का यह आदेश यमुना विहार निवासी मोहम्मद इलियास की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। उन्होंने अपनी याचिका में मिश्रा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया था। इसका दिल्ली पुलिस ने यह कह कर विरोध किया कि दंगों में मिश्रा की कोई भूमिका नहीं थी।
आज के मामले के अलावा, भाजपा नेता कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा सहित अन्य पार्टी नेताओं के खिलाफ 2020 के दंगों से पहले उनके कथित नफरत भरे भाषणों के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करने वाली एक अन्य जनहित याचिका फिलहाल दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।
पुलिस ने याचिका पर बहस के दौरान अदालत को बताया था कि मिश्रा पर दोष मढ़ने के लिए ‘साजिश रची’ जा रही है।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि दंगों के पीछे की बड़ी साजिश में मिश्रा की भूमिका की पहले ही जांच की जा चुकी है।
भाषा रंजन दिलीप
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